कहा जाता है कि कोई भी चेहरा बनावटी रूप में एक सीमित समय तक के लिए रह सकता है उसके बाद जब उसका मेकअप उतर जाता है तो सामने आती है कोई नयी सच्चाई जिसके बाद वो सच्चाई कईयों की विचारधारा ही बदल देती है और साथ में ही दे जाती है एक सबक जो कोई भी व्यक्ति हो या दल उसकी जिम्मेदारी बन जाती है कि उस इतिहास से शिक्षा ले .
ज्ञात हो कि भाजपा ने बड़ी आशा और उम्मीद के साथ अपनी असम की शाखा में महिला नेता बेनज़ीर अरफान को शामिल किया था . उनसे पार्टी के हर दायित्व और जिम्मेदारियों के निर्वहन की आशा की थी भाजपा ने पर अचानक ही बेनजीर अरफान को ना जाने क्या सूझा कि उन्होंने अचानक ही बौद्धों के हत्यारे और एशिया के लिए अशांति का कारण बनते जा रहे क्रूर रोहिंग्या हत्यारों के खुलेआम समर्थन में आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया . भाजपा का केन्द्रीय दल इन रोहिंग्याओं को आतंकी समर्थक मान कर इन्हें भेजने पर आमादा है तो इसलिए उन्हें ये हरकत अजीब सी लगी .
अपने देश की आन्तरिक सुरक्षा से बेखबर ये बेनजीर अरफान वैसे तो पढ़ी लिखी और पेशे से सिविल इंजीनियर है और वर्मान में भाजपा में मजदूर मोर्चा की कार्यकारी सदस्य के रूप में नामित हुई थी . इन्ही बेनजीर अरफान ने गुवाहाटी स्थित एक गैर सरकारी संगठन द्वारा रोहिंगिया मुसलमानों के लिए आयोजित प्रार्थना सभा के बारे में फेसबुक पर एक पोस्ट अपलोड किया था। इस पोस्ट में उनका रोहिंग्या प्रेम साफ़ दिख रहा था जिसको बेहद गम्भीरता से लेते हुए अरफान को पार्टी से इजाज़त लिए बिना रोहंगिया के मुद्दे को उठाने की वजह से व् देश की सुरक्षा से बेखबर होने और उच्चाधिकारियों से तालमेल न बैठा पाने के चलते तत्काल पार्टी और पद के प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के असम महासचिव श्री दिलीप सैकिया ने उनके निलंबन आदेश पर हस्ताक्षर किए।आदेश में कहा गया, “एक सक्रिय भाजपा सदस्य होने के बावजूद, आपने सोशल मीडिया पर एक अन्य संगठन द्वारा आयोजित म्यांमार संकट से जुड़े कार्यक्रम का पोस्ट डाला और पार्टी प्लेटफ़र्म पर इस मुद्दे पर कोई चर्चा किए बग़ैर ही इसके समर्थन की मांग की”।आदेश में कहा गया, “चूंकि यह पार्टी के सिद्धांत और आदर्श के खिलाफ है, इसलिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रणजीत कुमार दास ने निलंबन और पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से मुक्त करने का निर्देश दिया है”।