लखनऊ, दीपक ठाकुर। राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित करने में हुई देरी को सुधारते हुए विपक्ष ने उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है।विपक्ष के 18 दलों ने मिल कर जिस नाम की घोषणा की है वो है महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी जो पश्चिम बंगाल के गवर्नर भी रह चुके हैं।
हालांकि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों ही पदों के लिए होने वाले चुनाव में अगर संख्याबल की बात की जाए तो उसमें सत्तापक्ष को हरा पाना नामुमकिन ही है फिर भी विपक्ष ने एक तरफ दलित कार्ड खेल कर और दूसरी तरफ गांधी जी के नाम पर जो पासा फेंका है उससे ये चुनाव काफी रोचक सा हो गया है।
अभी सत्ता पक्ष ने उपराष्ट्रपति के नाम पर कोई चर्चा नही की है पर ये तय है कि उसके द्वारा लाया गया नाम ही इस पद पर चयनित होगा अब देखना है कि क्या सत्ता पक्ष गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर सहमति जताता है या अपना उम्मीदवार उतारता है लेकिन विपक्ष के इस नाम ने विपक्ष को ये सोचने का मौका ज़रूर दे दिया है कि वो अपना उम्मीदवार उतारे या महात्मा गाँधी का सम्मान करते हुए उनके पौत्र को इस पद पर आसीन कराए।
- जानिए गोपालकृष्ण गांधी के जीवन के बारे में के कहाँ जन्मे क्या क्या किया और परिवार में कौन कौन है।
गोपालकृष्ण गांधी का जन्म 22 अप्रैल 1945 को हुआ था। वह देवदास गांधी और लक्ष्मी गांधी के बेटे हैं। सी राजगोपालचारी उनके नाना थे। सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में एमए की डिग्री हासिल करने के बाद गोपालकृष्ण गांधी ने 1968 से 1992 तक एक आइएस अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दीं। वह स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हुए। बतौर आइएस अधिकारी उन्होंने तमिलनाडु में अपनी सेवाएं दीं। वह 1985 से 1987 तक उपराष्ट्रपति के सेक्रेटरी भी रहे। वहीं 1987 से 1992 तक राष्ट्रपति के ज्वाइंट सेक्रेटरी और 1997 में राष्ट्रपति के सेक्रेटरी भी रहे।
गोपालकृष्ण गांधी ने ब्रिटेन में भारत के उच्चायोग में सांस्कृतिक मंत्री और लंदन में नेहरू सेंटर के डायरेक्टर के तौर पर भी अपनी सेवाएं दीं। वह दक्षिण अफ्रीका के एक अत्यधिक लोकप्रिय उच्चायुक्त भी रहे, जहां 1996 में उन्हें नियुक्त किया गया था। लेसोथो में भी उन्होंने भारत के उच्चायुक्त के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। बाद में उन्हें 2000 में श्रीलंका में भारत का उच्चायुक्त और 2002 में नार्वे में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया। आइसलैंड में भी भारत का राजदूत बनाया गया। वहीं 2004 से 2009 तक गोपालकृष्ण गांधी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर भी अपनी सेवाएं दीं।
इसके अलावा गोपालकृष्ण गांधी ने विक्रम सेठ के ‘अ सुटेबल ब्वॉय’ का हिंदी में अनुवाद किया है। वहीं श्रीलंका के तमिल वृक्षारोपण कर्मचारियों पर एक उपन्यास भी लिखा है। गोपालकृष्ण गांधी और उनकी पत्नी तारा गांधी और दो बेटियां भी हैं।