सबसे पहले मैं आपको जीडीपी विकास में बढ़ोतरी के लिए बधाई देना चाहती हूं फिर उत्तर प्रदेश में होने वाले विकास को प्रदर्शित करने के लिए मुझे अनुमति दें जहां जनवरी में 286 लोगों की हत्या हुई और मार्च में 396 जबकि अप्रैल में यह संख्या 399 थी। मार्च में 244 से बढ़कर 378 और अप्रैल में 39 बलात्कार के मामले सामने आए हैं जिनका उल्लेख इंडिया टुडे में है।
मंगलवार को एक बलात्कार के मामले ने भारतीय संविधान पर काला धब्बा लगा लगाया है। अल्पसंख्यक समुदाय की 25 वर्षीय एक महिला चंडीगढ़-लखनऊ एक्सप्रेस में गलत तरीके से चढ़ गई थी। वह बीमार होने के कारण असहज महसूस कर रही थी।
शायद भारतीय कानून पर भरोसा करने की उसकी गलती थी। उसने उस व्यक्ति पर भरोसा किया, जिसको नागरिकों की सुरक्षा के लिए नियुक्त लिया गया था। यह सब उसकी गलती थी। हालांकि, जब उसने एस्कॉर्ट से सहायता मांगी जो ड्यूटी पर था, तो 24 वर्षीय कांस्टेबल कुमार शुक्ला ने उन्हें विकलांगों के लिए आरक्षित एक अन्य डिब्बे में जाने की सलाह दी।
ट्रेन करीब 8 बजे चांदपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंची। मौके का फायदा उठाते हुए शुक्ला ने महिला को आरक्षित कोच में ले गया, जहां तीन युवक बैठे थे। कॉन्स्टेबल ने युवाओं को एक और कोच में जाने के लिए मजबूर कर दिया और उस महिला से बलात्कार किया।
यहां उसी कांस्टेबल शुक्ला का वीडियो है, जो जघन्य अपराध करने के तुरंत बाद पुलिस स्टेशन में दोपहर का भोजन कर रहा है। लेकिन इस घटना पर कोई नजर नहीं डाल रहा है। अपराध के दृश्य का और गवाहों का यह वीडियो है:
इस मामले में मैं हर लड़की की ओर से भारतीय कानून को लेकर एक आम सवाल प्रश्न पूछना चाहती हूं कि ‘हमें अब किस पर विश्वास करना चाहिए? इसलिए मैं नम्रतापूर्वक आपसे अनुरोध करती हूं कि आप कानून-व्यवस्था के ऐसे मामले को देखें जो भारत की संप्रभुता को तोड़ रहे हैं।