लखनऊ,न्यूज़ वन इंडिया-मो.इरफ़ान शाहिद। भारत मे मुस्लिम महिलाओं के लिए आफत भरा जो लम्हा हुआ करता था उस पर भाजपा सरकार ने कैंची चला दी है जिसके बाद से अब तलाक़ शब्द खुद में इतना प्रभावशाली हो जाएगा कि बोलने वाला भी उसे इस्तेमाल करने से पहले हज़ार बार सोचेगा।
अभी तक ये होता आया था कि मुस्लिम मर्द बिना किसी ठोस वजह के अपनी पत्नियों को तलाक़ तलाक़ तलाक़ कह कर एक ऐसा फरमान सुना देते थे जिसके बाद उस महिला की ज़िंदगी दोज़ख के समान ही नज़र आती थी।वो चाह कर भी अपनी बेबसी कहीं ज़ाहिर नही कर पाती और आंसुओं के साय में ज़िन्दगी गुज़र देती थी।
मगर शाह बानो और सायरा बानो की हिम्मत ने ऐसा समय ला दिया जिससे उन तमाम महिलाओं के तलाक़ रूपी ज़ख्मो पर मरहम लगा दिया ऐसा मुस्लिम महिलाएं खुद बया कर रही है जब इस पर आए सरकार के बिल को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया।
अब तीन तलाक़ का मतलब 3 साल की जेल समझ लीजिए ऐसा कानून बनने में बस एक सीढ़ी बाकी है जो उम्मीद है पार भी हो जाएगी।कई ऐसे वाकये खुद हमने देखे हैं जहां बे वजह औरत को तलाक दे कर अपना पल्ला झाड़ने वाले मर्द खुद को सही साबित करने के लिए इस्लाम और शरीयत की दुहाई दिया करते थे लेकिन ऐसा कोई धर्म नही होगा जो औरत को बेजा परेशान करने की इजाज़त देता हो ये मेरा मानना है और धर्म के असल जानकार भी यही कहते हैं।लड़ते और चीखते सिर्फ वही है जो सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक की फिक्र करते है उन्हें आंसुओं से कोई सरोकार नही होता वो तो आंसुओं से भी हाथ धोने का हुनर रखते है।
लेकिन लगता है कि अब वक्त बदल चुका है लोग जागरूक हो गए है सिर्फ धर्म का हवाला देकर मनमानी थोपने वाली सभी स्कीम बन्द होना अब लाज़मी भी हो गया है क्योंकि औरतों पर ज़ुल्मो सितम की भी इन्तहां हो गई है।मज़हब कोई भी हो नारी का सम्मान करने की बात सभी धर्म ने की है।