पटना : बिहार की इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन रेल प्रशासन की अनदेखी के कारण अव्यवस्था का शिकार होती जा रही है. अव्यवस्था का आलम यह है कि इस ट्रेन में न तो टीटीई दिखते हैं और न ही रेल पुलिस.
रिजर्वेशन टिकट वाले यात्रियों को अपनी ही सीट हासिल करने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है. कई बार तो उनकी सीट पर अन्य यात्री यात्रा करते हैं और उठाने पर कभी-कभी मारपीट की नौबत भी आ जाती है. यात्री बेचारे टीटीई के इंतजार में खड़े-खड़े यात्रा को मजबूर होते हैं. ट्रेन में टीटीई और रेल पुलिस नहीं होने पर उन्हें समझ में नहीं आती कि शिकायत कहां करें?
लगातार परेशानी झेल रहे यात्रियों ने अब रिजर्वेशन कराना बंद कर दिया है. इसका असर यह हुआ है कि इंटरसिटी एक्सप्रेस में सेकेंड सीटिंग की अधिकांश सीटों का अब रिजर्वेशन ही नहीं होता. हालांकि यह ट्रेन यात्रियों से भरी रहती है. सूत्रों की मानें तो इनमें से अधिकांश यात्री बिना रिजर्वेशन के सफर करते हैं. इससे रेलवे को रेवेन्यू का नुकसान भी हो रहा है.
उदाहरण के तौर पर कटिहार से पटना तक चलने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस की बात करें तो इसमें सेकेंड सीटिंग के रिजर्वेशन वाली करीब 200 सीट प्रतिदिन खाली रह जाती हैं. इससे रेलवे को प्रतिदिन करीब 20 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है, लेकिन इस ट्रेन की हकीकत यह है कि कटिहार से चलने के बाद इसमें इतनी भीड़ रहती है कि एसी कोच को छोड़कर अन्य किसी डिब्बे में बैठने की जगह नहीं मिलती.
यात्रियों की सुरक्षा भी समस्या
इसमें यात्रा करने वालों का कहना है कि जब रिजर्वेशन टिकट लेने के बाद भी
अपनी सीट के लिए मारामारी करनी पड़े तो ऐसी टिकट का क्या फायदा? सीट पर
बैठा व्यक्ति उसे छोड़ने को तैयार नहीं होता. लड़ने और मारपीट के लिए तैयार हो जाता है. टिकट की जांच के लिए न तो टीटीई आते हैं और न ही रेल पुलिस के जवान दिखते हैं. इसलिये शिकायत कहां की जाये यह समस्या है? ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा भी बड़ी समस्या है. ठीक यही हाल प्रदेश में चलने वाली अन्य इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेनों में भी है.
क्या कहते हैं अधिकारी
सभी ट्रेन में टीटीई को टिकट जांच करने की जिम्मेदारी दी गयी है. इंटरसिटी एक्सप्रेस में ऐसा हो रहा है तो इस मामले की जांच करवायी जायेगी. ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्राथमिकता के आदार पर एस्कॉर्ट टीम (रेल पुलिस) की तैनाती की जाती है.