बिहार के महागठबंधन पर इस वक्त शनि सवार नजर आ रहा है। कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा सकता। लेकिन, लालू और नीतीश का प्लान B तैयार है।
New Delhi Jul 15 : बिहार की राजनीति में जो कुछ भी चल रहा है किसी से छिपा नहीं है। महागठबंधन का ऊंट किस करवट बैठेगा किसी की समझ में नहीं आ रहा है। लेकिन, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार और अपनी-अपनी लाज को बचाने के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी प्लान बी तैयार कर लिया है और लालू प्रसाद यादव ने भी अपनी तैयारी शुरु कर दी है। बताया जा रहा है कि आरजेडी के कुछ नेता जेडीयू विधायकों के संपर्क में हैं। खासतौर पर ऐसे विधायकों के जो नीतीश कुमार से असंतुष्ट हैं और उन्हें बिहार की सरकार में अब तक कोई भी पद नहीं मिला है। इसका मतलब आप समझ गए होंगे कि असल में बिहार के महागठबंधन का खेल किस लेवल पर पहुंच गया है।
चलिए यहां आपको पूरा समीकरण समझा देते हैं। दरअसल, बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए मौजूदा वक्त में किसी भी पार्टी के पास जादुई आंकड़ा नहीं है। बिहार में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 122 सीटों का है। 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जिसके बाद यहां महागठबंधन की सरकार बन पाई थी। इस चुनाव में आरजेडी को सबसे ज्यादा 80 सीटें मिली थीं। जबकि जेडीयू को 71, बीजेपी को 53 और कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं। बिहार के महागठबंधन में आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस की सीटें मिलाकर आंकड़ा बनता है कुल 187 सीटों का। अगर जेडीयू और आरजेडी का गठबंधन टूट जाता है और नौबत सरकार गिरने की आती है तो क्या होगा। जरा ये भी समझ लीजिए।
अगर बिहार के महागठबंधन से जेडीयू अलग हो जाती है तो बचते हैं कांग्रेस और आरजेडी। कांग्रेस और आरजेडी की सीटें मिलाकर होती हैं 107, जो बहुमत के आंकड़े से कम हैं। मान लिया जाए कि अगर आरजेडी और कांग्रेस के साथ चार निर्दलीय विधायक और तीन CPI के विधायक आ जाते हैं तो आंकड़ा बनता है 114 का। यानी बहुमत के आंकड़े के लिए बिना जेडीयू वाले इस गठबंधन को फिर भी आठ सीटों की जरुरत है। यानी अगर लालू प्रसाद यादव जेडीयू के दस विधायकों को तोड़ लेते हैं तो उनका सरकार बनाने का ख्वाब पूरा हो सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लालू यादव की पार्टी ने इस दिशा में काम करना शुरु कर दिया है। लेकिन, इस सूरत में विधायकों को दल-बदल कानून का सामना करना पडेगा।
जो लालू के इस संभावित और नए महागठबंधन के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है। वहीं दूसरी ओर अगर नीतीश कुमार खुद ही महागठबंधन से बाहर आ जाते हैं या तेजस्वी यादव को कैबिनेट से निकाल बाहर कर देते हैं तो उन्हें बीजेपी का साथ मिल सकता है। यहां बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को मिलाकर विधानसभा में आंकड़ा 58 सीटों का है। NDA की 58 सीटें और नीतीश कुमार की जेडीयू की 71 सीटें मिलकर होती है 129 सीटें। यानी दोनों मिलकर बिना किसी नए विवाद के बिहार में सरकार बना सकते हैं। ये नीतीश कुमार का प्लान B हो सकता है। वहीं बिहार में महागठबंधन के इस झगड़े में कांग्रेस पार्टी डिसाइडिंग फैक्टर की बजाए सिर्फ तमाशबीन वाली स्थिति में ही नजर आ रही है।