लखनऊ, इरफ़ान शाहिद। खुद को फ्रेम में लाने के लिये नेता लोग कुछ भी कभी भी और किसी को भी कुछ बोलने के आदि होते हैं जैसा गाहे बगाहे हमको आपको दिखता ही रहता है।ऐसा ही नजारा बुधवार को राज्य सभा मे दिखाई दिया जहां वर्तमान में समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने हिन्दू देवी देवताओं पर अभद्र टिपड़ी कर खूब चर्चा बटोरी और बाद में अपने शब्द वापस लेते हुए माफी मांग कर बैठ गए।
नरेश अग्रवाल खाने पीने और दल बदलने के शौकीन हैं ये उनके व्यवहार से लगता है ये हमेशा हरी डाल पर ही बैठना पसंद करते हैं पर इस बार शायद दाल गली नही तो विपक्ष के गलियारे में नज़र आ रहे हैं।उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में साहब का काफी रसूख़ माना जाता है इनको ये नही पता के मदिरा और भगवान के नाम मे कितना अंतर है बल्कि ये साहब तो राम के नाम को मदिरा के नाम से जोड़कर देखते हैं।जिसे देख कर और उनकी वो भाषा सुनकर यही लगता है कि इनके माता पिता ने जिस उद्देश्य को ध्यान में रख कर इनका नामकरण किया था ये उसको उल्टा सिद्ध करने में लग गए हैं।
खैर जिसके खुद का कोई अस्तित्व नही वो भगवान पर क्या सही बात बोलेगा ये तो साफ हो गया पर नरेश अग्रवाल की मुसीबत उस टिपड़ी के बाद बढ़ गई है ये दिखाई देने लगा है आज सुबह दिल्ली में उनके आवास पर भारतीय युवा मोर्चा ने कालिख पोती साथ ही सोशल मीडिया पर भी वो आलोचनाओं का शिकार हुए और तो और लखनऊ में उनके इसी भाषण के खिलाफ कोर्ट केस भी फाइल हो गया है।
चलिये इससे इनका एक भला तो हुआ राम जी कृपा से के साहब सुर्खी बटोरने में कामयाब हो गए अभी विरोध का शोला और भड़केगा इसमें भी कोई संदेह नही तो इससे इनको टीवी चैनल और अखबार में भी जगह मिलती रहेगी इसी लिए कहा गया है ।। जा पर कृपा राम की होई ता पर कृपा करें सब कोई।।