समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता हैं। जो आज किसी भी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने राजनीति में जो मुकाम हासिल किया अपनी मेहनत की बदौलत किया। उन्हें राजनीति राहुल गांधी की तरह विरासत में नहीं मिली थी। उन्होंने समाजवादी पार्टी को अपने खून पसीने से सींचा था। लेकिन, आज उनके ही बेटे और भाई ने उनकी क्या हालत कर दी है हर कोई देख रहा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी उनसे छीना जा चुका है। इस पद पर उनके बेटे अखिलेश यादव का कब्जा है। पार्टी में सुलह के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में अब चर्चाओं का बाजार इस बात को लेकर गरम है कि मुलायम सिंह यादव भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
इतना ही नहीं, चर्चाएं इस बात की भी हो रही हैं कि भारतीय जनता पार्टी मुलायम सिंह यादव को बिहार का राज्यपाल बना सकती है। हालांकि कई राजनैतिक पंडितों को ये बात गले नहीं उतर रही है। जबकि कुछ को इस चर्चा के पीछे लॉजिक नजर आ रहा है। सोशल मीडिया पर भी इस वक्त मुलायम सिंह यादव छाए हुए हैं। जाहिर है सोशल मीडिया पर इस तरह की चर्चाओं को सोची समझी रणनीति के तहत भी फैलाया जा सकता है। लेकिन, इन बातों को जब तक पुष्टि नहीं हो जाती सिरे से खारिज भी नहीं किया जा सकता। दरअसल, पिछले कुछ महीनों में देखे तो मुलायम सिंह यादव ने बीजेपी खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर काफी नरम रुख अख्तियार किया हुआ है।
जिस वक्त एनडीए ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए रामनाथ कोविंद के नाम का एलान किया उस वक्त भी मुलायम सिंह यादव सामने आए और उन्होंने रामनाथ कोविंद के नाम का समर्थन किया। वो भी बिना किसी शर्त के। इतना ही नहीं उपराष्ट्रपति पद के लिए भी वो वेंकैया नायडू के नाम का समर्थन कर चुके हैं। इसके अलावा वो लगातार विपक्ष के खेमे से भी दूरी बनाए हुए हैं। हालांकि इसके पीछे कुछ राजनेताओं का कहना है कि जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं तो लोगों की मुलाकात उन्हीं से होगी। ना कि मुलायम सिंह यादव से। लेकिन, हर कोई ये जानता है कि मुलायम का कद राजनीति में बहुत ऊंचा है। इसीलिए कहा जा रहा है कि बीजेपी उन्हें बिहार का राज्यपाल भी बना सकती है।
हालांकि ये सिर्फ चर्चाएं हैं। इस तरह की बातों पर अब तक कोई भी आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। ना तो भारतीय जनता पार्टी की ओर से ना ही मुलायम सिंह यादव की ओर से। ऐसे में इस चुप्पी के भी कई मायने निकाले जा सकते हैं। दरसअल, बीजेपी को भी पता है कि अगर वो मुलायम सिंह को अपने साथ मिला लेते हैं तो 2019 में उसकी राह और आसान हो जाएगी। यानी अगर बिहार में नीतीश और यूपी में मुलायम का साथ मिल जाए तो विपक्ष के तोते उड़ने तय हैं। वर्तमान राजनीति में कुछ इसी तरह के समीकरण बनते हुए भी नजर आ रहे हैं। दूसरी ओर अखिलेश यादव और प्रोफेसर रामगोपाल यादव को सबक सिखाने के लिए भी मुलायम सिंह बीजेपी को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।