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Friday, December 6, 2024

​बड़े बे-आबरू हो कर तेरे कूचे से हम निकले..

लखनऊ, दीपक ठाकुर। उत्तर प्रदेश में जिस तरह हर पल राजनैतिक समीकरण बदल रहा है उससे ये साफ़ समझा जा सकता है यू पी राजनितिक दृष्टि कोण से कितनी अहम् है।।

कभी यू पी में बादशाहत करने वाली कांग्रेस पार्टी ने शुरुआत में ये सोच कर यू पी चुनाव को हलके में लेने की गलती की होगी की समाजवादी पार्टी से ताल मेल के बाद मेहनत कम करनी पड़ेगी और सत्ता के भागीदारी भी बन जायेगी।

सब कुछ ठीक भी चल रहा था सपा से अच्छी मुलाकाते भी हुई पर अंत में मामला कुछ सीटों में फस कर रह गया जो हल होने का नाम ही नहीं ले रहा।

बातचीत के दौरान ही सपा ने ऐसी सूची जारी की जो सीट कांग्रेस चाहती थी अब और मुश्किल हुई की कैसे होगा गठबंधन हालांकि इस गठबंधन के चक्कर में कांग्रेस ने अपने कई शीर्ष नेताओं की अनदेखी भी कर दी वही दूसरी तरफ कांग्रेस 110 सीटों पर टिकी रही तो सपा 80 से 85 तक आई उसके बाद ना वो बढे ना ये घटे नतीजा बनते बनते रह गया गठबंधन।

यहाँ तक की सपा से गठबंधन पर आखरी मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता गुलामनबी आज़ाद और राजबब्बर दिल्ली के लिए भी निकल गए अब सोनिया जी को सारी जानकारी दी जायेगी क्या पता दिल्ली से ही गठबंधन का कोई रास्ता निकल आये।

लेकिन इस पूरे घटना क्रम को देख कर कांग्रेस की बेचारगी साफ़ नज़र आ रही है वो ये बात अच्छे से समझ रही है कि गठबंधन उसकी ज़रूरत भी है और मज़बूरी भी।।

यहाँ एक बात तो तय है कि यू पी में कांग्रेस का गठबंधन तो होगा पर चुनाव से पहले या बाद में ये आने वाला वक़्त तय करेगा।।

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