दीपकठाकुर, न्यूज़ वन इंडिया। यशवंत सिन्हा एक ऐसा नाम जो कभी भारतीय जनता पार्टी में एक स्वच्छ छवि के नेता के रूप में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता था ये वही नाम है जिसे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में बेहद ज़िम्मेदारी वाला पद भी दिया गया था वो था वित्त मंत्रालय जिससे देश की अर्थव्यवस्थता सुनिश्चित की जाती है।मगर जैसे जैसे बाजपेयी युग का अंत हुआ वैसे ही तमाम दिग्गज नेताओं को दूध में पड़ी मक्खी की तरह किनारे कर दिया गया और काम दिया गया तो सिर्फ हर काम मे आशीर्वाद देने का।
मगर कहते हैं कि ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान का दुरुपयोग होता नही देख सकता ठीक वैसा ही कुछ यशवंत सिन्हा भी कर गए।अब भाजपा की वर्तमान सरकार भले चीखती चिल्लाती रहे कि उसके नोटबंदी के फैसले से भारत की अर्थव्यवस्थता पर कोई बुरा असर नही पड़ा है पर यशवंत सिन्हा को ये बात गले नही उतर रही है।एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए इंटरव्यू में सिन्हा ने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली और नोटबंदी ने देश की जीडीपी की कमर तोड़ कर रख दी है उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के आने पर भी ना विकास हो पा रहा है ना लोगो को रोजगार ही मिल पा रहा है।
यशवंत सिन्हा ने अरुण जेटली को वित्त मंत्रालय जैसा पद देने पर भी शुभा जताते हुए कहा कि चुनाव में उनकी हार और जब नाम पहले से तय थे तो क्या वजह रही कि अरुण जेटली को ये ज़िम्मेदारी दी गई।यशवंत सिन्हा ने ये भी कहा कि भाजपा में नेता डर के कारण सरकार के खिलाफ कुछ भी नही बोलते।
इस साक्षतकार की बात की जाए तो एक तरह से काफी विस्फोटक हो सकता है भाजपा के लिए क्योंकि अभी तक जो बातें विपक्ष कर रहा था अब वही आरोप खुद के नेता भी लगा रहे है इसका मतलब है कि वाकई भाजपा भी गरीबी और बेरोजगारी को सिर्फ चुनावी समर में याद करती है अगर ऐसा नही होता तो समय काफी बीत गया है पर हासिल कुछ भी नही हुआ उन मामलों में जिनके बल पर भाजपा सरकार बनी थी।खैर अब देखने वाली बात ये होगी कि भाजपा यशवंत सिन्हा के आरोपों पर क्या सफाई देगी या सिन्हा साहब को सच बोलने की सज़ा देगी क्योंकि उन्होंने ही कहा कि पार्टी में भय का माहौल है।