केंद्र की भाजपा सरकार भी मुंगेरी लाल के हसीन सपने दिखा कर सत्ता में तो आ गई पर उसने अपने दिखाए गए सपने को सच करने का एक भी काम अपने अब तक के कार्यकाल में नही किया।वो काम क्या था ये किसी को बताने की ज़रूरत नही क्योंकि हर आदमी जानता है कि ये सरकार वही सरकार है जिसने कहा था कि अच्छे दिन आने वाले हैं? ये क्योश्यन मार्क इसलिए क्योंकि सरकार बने 4 साल से अधिक का समय हो गया पर अभी भी उन अच्छे दिनों की तलाश जारी है जिसकी बात हमारी इसी सरकार ने सत्ता में आने से पहले की थी।
आज भी आम आदमी जब थैला उठाकर घर से निकलता है तो उसे बाज़ार से क्या मिलता है इसपर भी ज़रा गौर कर लीजिए,गौर कर लीजिए कि रोज़मर्रा की चीज़ों पर आम आदमी को कितनी तकलीफ झेलनी पड़ रही है।हम हो या आप हो कोई भी आम आदमी हो अगर वो अपने किचन का समान लेने जाता है तो उसके होश फाख्ता हो जाते है ये सुनकर की किचेन के सामान को खरीदने में आज भी वैसे ही पसीना छूट जाता है जैसे इस सरकार के सपने से पहले छूटता था।
आज भी भाईसाहब आपको तो पता ही होगा कि सरसों का तेल 100 रुपये लीटर से कम कहीं नही मिलता और चीनी भी 42 रुपये से कम कोई नही देता अच्छे दाल चावल के बारे में तो आप सोचियेगा भी मत क्योंकि उनके भाव तो आसमान से भी ऊपर हैं।
और रही बात रसोई गैस और पेट्रोल की तो वो तो हर महीने पसीना निकालने वाला जैसा ही होता है।तभी कभी कभी ये लगता है कि वही सरकार अच्छी थी जो गैस की सब्सिडी हटा कर हमसे गैस के पैसे मांगती थी।
कुल मिला के देखा जाए तो ये बात बिल्कुल सही लगती है कि इस सरकार ने सपने तो बहुत दिखाए मगर उसको अमली जामा पहनाने में नाकाफी रही ये बात अलग है
कि उसके सपनो को आम जनता ने हक़ीक़त के रूप में ले लिया लेकिन सरकार की मंशा क्या वाकई गरीबी दूर करने की थी इसपे एक बड़ा प्रश्नचिन्ह आज भी लगा है।