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Monday, December 2, 2024

​मंदसौर के किसानों को एक-एक करोड़ नहीं दे सकते कलेक्टर, मामला गर्माया

भोपाल। किसान आंदोलन के दौरान छह जून को पुलिस फायरिंग में मारे गए मंदसौर के छह किसानों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए देने से कलेक्टर ने हाथ खड़े कर दिए हैं। कलेक्टर ने अधिकार नहीं होने का हवाला देकर प्रस्ताव शासन को भेज दिया। मामला गृह विभाग पहुंचा तो वहां भी बजट का संकट खड़ा हो गया। इसके बाद से सीएम की घोषणा फाइलों में उलझी पड़ी है। अब सरकार परेशान है कि इस राशि को किस मद से दे।

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मृत किसानों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी। इसके दूसरे दिन सात जून को सीएम सचिवालय से तत्कालीन मंदसौर कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह को चेक जारी करने के लिए कहा गया था। कलेक्टर ने बजट का हवाला दिया तो उन्हें कहा गया था कि फिलहाल राशि जारी की जाए। उसे बाद में दूसरी मदों में समायोजित करें। कलेक्टर ने इसका प्रस्ताव तो बनाया, लेकिन राशि जारी नहीं की।

इसके बाद स्वतंत्र सिंह का तबादला हो गया और ओपी श्रीवास्तव मंदसौर कलेक्टर बन गए। श्रीवास्तव ने सीधे तौर पर इस राशि को जारी करने से किनारा करके इसका प्रस्ताव बनाकर भोपाल भेज दिया। श्रीवास्तव ने इसका आधार बनाया कि उन्हें इतनी बड़ी राशि देने के अधिकार नहीं है।

यह है रास्ता

सरकार ने वित्त विभाग से भी सलाह ली है। इसके तहत दो रास्ते सुझाए गए हैं। पहला रास्ता सीएम स्वेच्छानुदान के तहत सहायता कोष से मदद करने का है। इसमें सीएम को अधिकार है, लेकिन सीएम इस पर सहमत नहीं हैं। दूसरा रास्ता गृह विभाग सीएम की घोषणा का हवाला देकर अलग से बजट का बंदोबस्त किया जाए। इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी लग सकती है।

अभी हम देख रहे है कि किन मदों से आर्थिक मदद दी जाए। इस पर काम चल रहा है।

केके सिंह, एसीएस, गृह विभाग

एक करोड़ मुआवजा देने का अधिकार कलेक्टर को नहीं है। इसलिए हमने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है।

ओपी श्रीवास्तव, कलेक्टर, मंदसौर

अब मंदसौर कलेक्टर नहीं हूं इसलिए इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।

स्वतंत्र कुमार सिंह, पूर्व कलेक्टर, मंदसौरजांच आयोग तीन माह में देगा रिपोर्ट

किसान आंदोलन के दौरान मंदसौर जिले में भड़की हिंसा और गोलीकांड में हुई मौत की जांच के लिए राज्य सरकार ने जांच आयोग का गठन कर दिया है। उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेके जैन की अध्यक्षता में गठित एकल सदस्यीय आयोग तीन माह के अंदर जांच पूरी कर राज्य शासन को अपनी रिपोर्ट देगा। आयोग का मुख्यालय इंदौर होगा।

जांच आयोग पांच तरह की जांच करेगा कि घटना किन परिस्थितियों में घटी, क्या पुलिस द्वारा जो बल प्रयोग किया गया, वह घटना-स्थल की परिस्थितियों को देखते हुए उपयुक्त था या नहीं, यदि नहीं तो इसके लिए दोषी कौन है, क्या जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन ने परिस्थितियों और घटनाओं के लिए पर्याप्त कदम उठाए थे। आयोग यह भी सुझाव देगा कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। आयोग जांच में वो विषय भी शामिल कर सकेगा जो जरूरी हों।

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