ये भारतीय क्रिकेट कभी दो वक्त की रोटी खाने को था मजबूर आज बनवा रहा है करोड़ो का बंगला, जाने कौन है ये ? क्रिकेट किसी भी अन्य खेल की तुलना में सबसे ज्यादा प्रख्यात है और यदि बात की जाये भारत में इस खेल की दीवानगी की तो यह एक अलग ही सीमा पार कर जाती है . भारत में लोग क्रिकेट को पूजते है और इसकी एक वजह यह भी है कि क्रिकेट ने कई लोगो की जिन्दगियां बदल दी है और आज हम आपको उन्ही में से एक खिलाड़ी के बारे में बताने जा रहे है .
दरअसल ये पूरी कहानी इंडियन क्रिकेटर नाथू सिंह की है . जो बेहद गरीब परिवार से आते हैं . जयपुर के रहने वाले नाथू सिंह मीडियम पेस बॉलर हैं . इनके पिता भरत सिंह पहले खेती करते थे लेकिन जब उससे खर्चे पुरे न हुए तो वायर फैक्ट्री में मजदूर की नौकरी करने लगे .
आपको बता दें कि बचपन में गली क्रिकेट खेलने के दौरान जब नाथू को काफी तेज बॉल फेंकते देखा, तो उनके पिता से जाकर कहा कि उसे क्रिकेट सिखाइए . खुद क्रिकेट की ज्यादा समझ न होने के बावजूद भी उनके पिता ने बेटे के टैलेंट को समझते हुए उसे आगे बढ़ाया .
उन्होंने नाथू को क्लब भेजना शुरू किया जिसकी फीस 10 हजार रुपए थी . भरत ने जैसे-तैसे दो महीने की फीस भरी और नाथू से कहा दो महीने खेलो फिर देखते हैं . यहां नाथू की परफॉर्मेंस देखकर क्लब कोच भी काफी खुशी हुए . दो महीने में ही नाथू एकेडमी के स्टार खिलाड़ी बन गए . फैमिली की हालत देखते हुए एकेडमी ने ही उनकी फीस भरी .
इससे पहले वह एक टिन शेड के घर में रहते थे लेकिन क्रिकेट ने उनकी दुनिया ही बदल कर रख दी . वे अच्छी क्रिकेट खेलने लगे . जिसके बाद उनका सिलेक्शन अंडर-19 टीम में हो गया . इसके बाद वे राजस्थान की रणजी टीम में भी चुन लिए गए .
आपको जानकर हैरानी होगी कि बेटे के स्टार बनने के बाद भी उनके पिता ने फैक्ट्री में मजदूरी करना नहीं छोड़ा है . क्यूंकि उनका मानना है कि इसी मजदूरी के सहारे वे यहां तक पहुंचे हैं और आज उनका बेटा जयपुर में अपने माता-पिता के लिए करीब डेढ़ करोड़ रुपए में तीन मंजिला एक आलीशान घर बनवा रहे है . ये मकान उनके पुराने पुश्तैनी मकान को तोड़कर बनवाया जा रहा है .