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Friday, September 20, 2024

​मनीष पांडे ने बंद की आलोचकों की जुबान, बने शानदार फिनिशर!

मनीष पांडे ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि उनमें बेहतरीन फिनिशर के तमाम गुण मौजूद हैं। उनकी इसी क्षमता का नजारा देखा गया श्रीलंका में चल रही त्रिकोणीय सीरिज के भारत-श्रीलंका के बीच खेले गए मैच के दौरान।दरअसल श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के सामने 153 रनों का लक्ष्य रखा। जब केएल राहुल आउट हुए तो भारत का स्कोर 85 रन ही था। उसके बाद मनीष पांडे की ताबड़तोड़ और बेखौफ बल्लेबाजी के चलते भारत ने मैच जीत लिया।

बेखौफ बल्लेबाजी
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मनीष पांडे ने 31 गेंदों में नाबाद 42 रन बनाए। उन्होंने तीन चौके और एक शानदार छक्का भी मारा। वे अपने को शानदार फिनिशर साबित कर रहे हैं इंडियन प्रीमियर लीग(आईपीएल) से लेकर अंतरराष्ट्रीय मैचों में। पिछले साल उनकी आईपीएल टीम केकेआर का दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ फिरोजशाह कोटला में खेला गया मैच याद कीजिए। केकेआर के सामने 169 रनों का कठिन लक्ष्य था। केकेआर ने सस्ते में दो विकेट खो दिए। अब बल्लेबाजी करने आए मनीष पांडे। पांच गेंदों के बाद उनके कप्तान गौतम गंभीर भी आउट हो गए। केकेआर का स्कोर था 3 विकेट पर 21 रन।
घबराए नहीं, बढ़ते गए

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दिल्ली की टीम की तरफ से जहीर खान और पैट कमिंस सटीक गेंदबाजी कर रहे थे। पर मनीष पांडे विपरीत हालात स्थिति से घबराए नहीं। उनके साथ अब बल्लेबाजी कर रहे थे युसुफ पठान। मनीष पांडे ने संभलकर खेलते हुए एक-एक,दो-दो रन बनाने शुरू कर दिए। वे बीच-बीच में कमजोर गेंदों पर बड़े शॉट भी खेल रहे थे। दोनों के बीच 110 रनों की साझेदारी ने केकेआर को विजय के करीब लाकर खड़ा कर दिया। युसुफ पठान आउट हुए तो केकेआर को 31 गेंदों में 38 रन और बनाने थे। अब दिल्ली के कप्तान जहीर खान कोशिश करने लगे कि किसी तरह से मनीष पांडे को स्ट्राइक ना मिले। उन्हें कुछ हदतक सफलता भी मिली। पर वो मनीष पांडे को अपनी टीम को मैच जितवाने से रोक ना पाए। उन्होंने उस कांटे के मैच में 49 गेंदों पर 69 रन बनाए थे।
पर पिछड़े कोहली से

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मनीष पांडे की विशेषता ये है कि वे कठिन हालातों में भी अपना धैर्य नहीं खोते। अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहते हैं। वे कवर और मिड आफ पर बेहतरीन शॉट खेलने में माहिर हैं। पर मानना होगा कि मनीष पांडे अपने कुछ साथियों से कम सफल रहे। वे 2008 की उस इंडिया अंडर-19 टीम में थे जिसमें विराट कोहली और रविन्द्र जडेजा भी थे। जाहिर है कि कोहली और जडेजा ने सफलता की जिन बुलंदियों को चूमा उस लिहाज से मनीष पांडे कहीं ना कहीं पीछे रह गए।
मिलीं बड़ी सफलताएं
पर ये भी नहीं कहा जा सकता कि उनके हिस्से में बड़ी सफलताएं नहीं आईं। मनीष पांडे भारत के पहले खिलाड़ी हैं,जिसने आईपीएल में शतक मारा था। ये बात 2009 के आईपीएल सीजन की है। वे तब 19 साल के थे। इसके अलावा मनीष पांडे के साल 2009-10 के रणजी ट्रॉफी फाइनल में 144 रनों की पारी को भी याद रखा जाएगा। उस फाइनल में उन्होंने मुंबई के गेंदबाजों की कसकर धुनाई की थी।
यानी वे क्रिकेट के सभी प्रारूपों में सफल होने की क्षमता रखते हैं।क्रिकेट के जानकार मानते हैं कि टीम इंडिया को मनीष पांडे के रूप में एक बेहतरीन फिनिशर मिल गया है। अब उनकी क्षमताओं पर सवाल खड़े नहीं होने चाहिए।

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