बीजेपी लगातार अपना जनाधार बढ़ा रही है। अब पार्टी के निशाने पर बंगाल समेत पूर्वी भारत के राज्य हैं। बंगाल हमेशा से बीजेपी के लिए एक चुनौती रहा है। पार्टी कभी भी वहां पर एक ताकत के रूप में पहचान नहीं बना पाई। लेकिन अब उत्तर भारत और बंगाल के बीच का भेद खत्म होता दिखाई दे रहा है। बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ माहौल बनने की बात सामने आ रही है। हिंदुत्व का नारा बंगाल के मध्यवर्गीय लोगों को भा रहा है। इसके पीछे कारण ममता की तुष्टिकरण की नीतियां हैं। बंगाल में मौलवियों को वेतन देने का फैसला। किताबों से राम शब्द से छुटकारा पाने की कोशिश। ये ऐसे फैसले हैं जो ममता के खिलाफ लोगों को में नाराजगी बढ़ा रहे हैं.
बंगाल में अब राम नवमी और हनुमान जयंती उत्साह से मनाया जा रहा है। दरअसल बंगाल में नया सामाजिक ताना बाना बुना जा रहा है। एक तरह से बंगाल संघ औऱ बीजेपी के लिए प्रयोगशाला बन गया है। ममता बनर्जी से नाराज समाज का तबका राम
को एक आइकन के रूप में देख रहा है। ममता ने जिस तरह से एक खास संप्रदाय के लोगों को खुश करने की कोशिश की है। उस से राज्य के हिंदुओं में नाराजगी देखने को मिल रही है। यहां पर हिंदुत्व का मतलब राष्ट्रवाद और सेक्युलरिज्म का मतलब तुष्टिकरण समझा जा रहा है। ये टीएमसी के लिए खतरे की घंटी की तरह है।
सबसे खास बात ये है कि राज्य के पढ़े लिखे लोगों को हिंदुत्व पसंद आ रहा है। लगातार इस्लाम की बातें और तुष्टिकरण से ये तबका तंग आ चुका है। बता दें कि ममता बनर्जी की सरकार ने राम नाम से छुटकारा पाने के लिए फैसले किए हैं। तीसरी कक्षा की
किताब से रामधनु शब्द हटा दिया है। इसका मतलब इंद्रधनुष होता है। इस तरह के फैसलों से राज्य के हिंदुओं को लग रहा है कि उन्हे नजरअंदाज किया जा रहा है। आपको बता दें कि यूपी में भी बीजेपी ने कुछ ऐसी ही रणनीति बनाई थी। जिसके फलस्वरूप उसे प्रचंड जीत मिली थी।
हाल ही में बंगाल में हुए उप चुनाव में बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी बन कर उभरी थी। राज्य के युवाओं का कहना है कि बंगाल ने लेफ्ट, कांग्रेस औऱ टीएमसी सभी को देखा है। एक बार बीजेपी और मोदी को देखने में क्या जाता है। वो सबका साथ सबका
विकास की बात करते हैं। ममता सरकार के फैसले पहले से तुष्टिकरण ध्रुवीकरण की जमीन तैयार कर चुकी है। ममता जिस तरह से सार्वजनिक तौर पर हिजाब पहनती हैं, वो हिंदुओं को खटक रहा है। यहां के लोगों का मानना है कि राज्य की मुस्लिम आबादी में से ज्यादातर बांग्लादेश से आए हैं। उनके वोट के लिए ममता ये सब कर रही हैं।