महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण बदलने लगा है। एक तरफ कांग्रेस और एनसीपी एक साथ आ रहे हैं तो दूसरी ओर भाजपा और शिवसेना की दूरी बढ़ने लगी है। भाजपा और शिवसेना एक साथ मिल कर सरकार चला रहे हैं, लेकिन दोनों में दुश्मनी भी खत्म नहीं हुई है। शिवसेना इस बात को भूली नहीं है कि वह गठबंधन में बड़ी पार्टी होती थी, लेकिन भाजपा ने उसे अकेला कर दिया और खुद बड़ी पार्टी बन गई। सो, अगले चुनाव में शिवसेना का लक्ष्य सबसे बड़ी पार्टी बनने का है। इसके लिए उसने अकेले लड़ने का फैसला किया है।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने चुनाव से पहले शिवसेना के सरकार से अलग हटने और अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। भाजपा के नेता पहले कह चुके हैं कि वे अकेले चुनाव लड़ेंगे। वैसे भी भाजपा के लिए अब पहले जितनी सीटें छोड़ना मुमकिन नहीं है। पर भाजपा को उम्मीद थी कि 2014 के विधानसभा चुनाव की तरह ही 2019 में भी चारकोणीय मुकाबला होगा। पर ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
कांग्रेस और एनसीपी करीब आ रहे हैं और दोनों पार्टियों के प्रदेश नेताओं ने एक साथ मिल कर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। अगर भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़ते हैं और कांग्रेस व एनसीपी एक साथ मिल कर लड़ते हैं तो चुनावी तस्वीर बदल सकती है। तभी यह भी कहा जा रहा है कि ऐन चुनाव के वक्त भाजपा कुछ ऐसा करेगी, जिससे कांग्रेस और एनसीपी का तालमेल नहीं हो पाएगा। यानी भाजपा और शिवसेना के साथ आने का प्रयास नहीं होगा, उसकी बजाय यह प्रयास होगा कि कांग्रेस और एनसीपी साथ मिल कर न लड़ें।