मुंबई | तीन साल पहले किसानो की हालत सुधारने के वादे के साथ सरकार बनाने वाले प्रधानमंत्री मोदी, तीन साल बाद भी अपने उस वादे को पूरा नही कर पाए है. आज भी किसान वही खड़ा है जहाँ वो तीन साल पहले खड़ा था. कर्ज तले दबा हुआ, आत्महत्या करने पर मजबूर. लेकिन कोई भी सरकार किसानो के बारे में गंभीर नही दिखती. ऐसे में किसानो के पास आन्दोलन करने के अलावा और कोई चारा नही रह जाता.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावो के दौरान मोदी ने वादा किया था की सभी किसानो को कर्ज माफ़ किया जायेगा. सरकार बनी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा भी कर दी की किसानो का एक लाख तक का कर्ज माफ़ किया जायेगा. हालाँकि अभी तक यह केवल घोषणा ही है क्योकि इसके साथ काफी नियम और शर्ते जुडी हुई है जो छिपा ली गयी. लेकिन किसान इतनी बात नही जानता.
बाकी प्रदेशो के किसानो को लग रहा है की अगर उत्तर प्रदेश में किसानो का कर्ज माफ़ हो सकता है तो उनका भी कर्जा माफ़ किया जा सकता है. महाराष्ट्र में किसानो की हालत बेहद बदतर है. यहाँ बड़ी संख्या में किसान कर्ज तले दबे हुए है. इसलिए वो लगातार देवन्द्र फडनवीस सरकार से कर्ज माफ़ी की अपील कर रहे है. सब रास्ते बंद होता देख किसानो ने आन्दोलन करने का फैसला किया.
महाराष्ट्र के किसान गुरुवार से अनिश्चितकालीन हडताल पर चले गए. हालाँकि इससे पहले किसानो का एक प्रतिनिधमंडल मुख्यमंत्री से भी मिला. उन्होंने किसानो से एक महीने का वक्त माँगा लेकिन किसान उनके आश्वासन से संतुष्ट नही हुए और बीच में ही बैठक छोड़कर चले गए. जिसके बाद किसानो ने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में राजमार्ग पर दूध गिराकर अपना विरोध दर्ज कराया.