दीपकठाकुर, न्यूज़ वन इंडिया। नवरात्रि के पांचवे दिन माँ दुर्गा के स्कन्दमाता स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है।स्कंदमाता स्वरुपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है, उसमें कमल-पुष्प लिए हुए हैं।कमल के आसन पर विराजमान होने के कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. सिंह इनका वाहन है. शेर पर सवार होकर माता दुर्गा अपने पांचवें स्वरुप स्कंदमाता के रुप में भक्तजनों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहती हैं. इन्हें कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री कहा जाता है. देवी स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं तथा इनकी मनोहर छवि पूरे ब्रह्मांड में प्रकाशमान होती है।
ठीक ऐसा ही अलौकिक मनमोहक द्रश्य दिखा ठाकुर गंज स्थित माँ पूर्वी देवी मंदिर में यहां माँ के वस्त्र से लेकर उनका बड़ा ही शोभनीय नज़र आ रहा था।मंदिर प्रांगण में भक्तों के सुंदर भजन से वातावरण और भी भक्तिमय नज़र आ रहा था।
मंदिर की साज सज्जा और भक्तों द्वारा कराए गए विशेष श्रंगार की जानकारी देते हुए कार्यक्रम आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रमोद कुमार शुक्ला ने बताया कि माँ से जिन भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है वो भक्त अपने श्रद्धाभाव से माँ का श्रंगार कराते है।उन्होंने बताया कि मंदिर की तरफ से सभी को विशेष भोग का प्रसाद भी वितरित किया जाता है जिसके लिए भी दूर दराज़ से भक्तगण यहां आते हैं।
माँ पूर्वी देवी मंदिर की महिमा का बखान हर भक्त करता नजर भी आ रहा है स्कन्दमाता स्वरूप से भक्त मनवांछित फल लेने के उद्देश्य से आये थे जिन्हें माँ निराश नही करेंगी ऐसा उनका मानना है।