दीपकठाकुर, न्यूज़ वन इंडिया। कहने को तो नवरात्रि का अंतिम दिन पर भक्त और भगवान का ऐसा मिलाप जैसे आज से ही शुरू हुआ हो नवरात्रि पर्व।वास्तव में नवरात्रि के नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना का जो माहौल ठकुरगंज स्थित माँ पूर्वी देवी मंदिर में दिखा ऐसा नजारा शायद ही कहीं देखने को मिला हो।
माँ पूर्वी देवी मंदिर में माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप के दर्शन के लिए भक्तों की आतुरता साफ नजर आ रही थी इस मौके पर मंदिर समिति ने माँ के श्रंगार में भी चार चांद लगा दिया था मां को लाल,आसमानी रंग के वस्त्र धारण कराए माँ का सुंदर श्रंगार किया गया साथ ही दीपक से पूरा मंदिर परिसर चमकता हुआ नजर आरहा था मानो साक्षात माँ सिद्धिदात्री भक्तों को दर्शन देने प्रकट हुई हों।
भक्तों ने माँ से मनचाहा वर पाने के लिए माँ को प्रसन्न करने का भरसक प्रयास किया किसी ने सुंदर सुंदर भजन गा कर माँ के दरबार मे अर्ज़ी लगाई तो कोई तालियों और माँ के जयकारे लगा कर अपनी मौजूदगी बताने में नज़र आया।
अब जरा ये भी जाना जाए कि नवदुर्गा में माँ सिद्धिदात्री का क्या महत्व है…
दुर्गा के नौवें स्वरूप को सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है, जिनकी चार भुजाएं हैं। इनका आसन कमल और वाहन सिंह है। दाहिने और नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा, बाई ओर से नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है। भगवती के इस स्वरूप की ही हम नवरात्र के अंतिम दिन आराधना करते हैं। मां दुर्गा के इस रूप को शतावरी और नारायणी भी कहा जाता है।
ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवदुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए मुश्किल नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है।
ऐसा ही कुछ विधिविधान माँ पूर्वी देवी मंदिर में भी नज़र आया यहां भी मंदिर परिसर के ठीक सामने एक हवनकुंड स्थापित किया गया जिसमें रात्रि के पहर पूरे विधिविधान के साथ भक्त हवन करेंगे।इसकी समस्त जानकारी देते हुए कार्यक्रम आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रमोद कुमार शुक्ला ने बताया कि माँ पूर्वी देवी मंदिर में माँ सिद्धिदात्री का आशीष प्राप्त करने के लिए हर नवरात्रि पर हवन का भी आयोजन होता है।उनका कहना था कि यहां भक्तों का उत्साह हर दिन हर कार्य मे देखने योग्य होता है।यही वजह है कि यहां भक्तों की भीड़ में बढ़ोत्तरी ही नज़र आती है।
माँ पूर्वी देवी मंदिर में नवरात्रि का आयोजन इसी भक्तिमय वातावरण के साथ सम्पन्न हुआ और भक्त जाते जाते कहते नज़र आये के वो है कितनी दीन दयाल सखी रे तुझे क्या बतलाऊँ।।।