लखनऊ, दीपक ठाकुर। ये शेर जो आपने पढ़ा ये हमारे देश के प्रधान मंत्री के लिए है हमारे प्रधान मंत्री ने जबसे देश के सत्ता की बागडोर संभाली है तभी से हर हिंदुस्तानी उनकी ओर टकटकी लगाए बैठा है कि मोदी ज़रूर कुछ ऐसा करेंगे जिसे देश बरसो बरस याद रखेगा। कई मौकों पर ऐसा हुआ भी है जैसे सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवाद को मुह तोड़ जवाब देना या नोट बंदी के फैसले को लागू करना ये दिखाता है कि हमारे प्रधान मंत्री सही में देश सेवा के लिए आये हैं और वो देश से आतंकवाद भ्रस्टाचार का खात्मा करने के लिए वचनबद्ध है ।
पर हमारे प्रधानमंत्री जी की एक बात हमको काफी पीड़ा पहुंचती है वो ये की कई मौकों पर उनके मुख से वो निकल जाता है जिससे आमजनमानस विचलित हो उठता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आम जनमानस को ये उम्मीद है कि ये प्रधान मंत्री उनका असली हमदर्द है और हमदर्द अपनों के दुखों का मज़ाक नहीं उड़ाते।
अब हम आपको बताते है कि ऐसा कब कब हुआ जब आम जनमानस मोदी जी के भाषण से आहत हुआ आपको याद होगा जब नोट बंदी हुई तब अचानक लिए गए इस फैसले से कितने लोग परेशान हुए थे वो परेशान इस लिए नहीं थे की उनके पास काला धन था बल्कि उनकी परेशानी की वजह थी घर में बीमारी की समस्या और शादी की चिंता कई लोगों ने पैसे के आभाव किसी तरह सब कुछ निपटाया और इसी को विपक्ष ने मोदी जी को घेरने का मुद्दा भी बनाया।
विपक्ष के हमलों को तो मोदी ने जवाब दिया पर जिनलोगों के घरों में शादी थी उनकी मज़बूरी पर उनकी ओर से बजी ताली ने लोगों को आहत किया शायद आपको याद होगा जब मोदी जी अपने फैसले पर विपक्षियों पर हमलावर हो रहे थे तभी ये बात भी कह डाली थी की कुछ लोग इसलिए परेशान है कि नोट बंदी से उनकी शादी पर संकट आ गया है। अब जब आम जनता नोटबंदी के फैसले पर पी एम साहब के साथ खड़ी थी तो उनके कष्ट पर इस तरह चुटकी लेना मोदी जी को शोभा देता है क्या?
अब दूसरी बात करता हूँ जो संसद के अंदर हुई राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद देते हुए मोदी जी ने अपनी योजनाओं की खूब तारीफ की वहीँ कांग्रेस पार्टी पर आरोपों की झड़ी लगा दी सही भी किया जवाब तो प्रधान मंत्री जी को देना ही था सो दिया और गजब का दिया पर भूकंप जैसी प्राकर्तिक आपदा पर चुटकी ले कर उन्होंने अच्छा नहीं किया हालांकि उनका हमका कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के उस बयान पर था जो उन्होंने मोदी जी के लिए कहा था कि जब वो उनके खिलाफ बोलेंगे तो भूकंप आ जायेगा पर ऐसे वक़्त पर इस तरह का जवाब देना प्रधानमंत्री जी से शोभनीय नहीं लगा प्रकृति की मार पर प्रार्थना करनी चाहिए इस तरह हंसी का पात्र नहीं बनाना चाहिए इससे तकलीफ होती है।
माना कि चुनावी बयार बह रही है हर राजनैतिक दल खुद को अच्छा साबित करने में लगा है वही दूसरों को नीचा गिराने में भी नहीं चूक रहा है हर तरफ से आरोप प्रत्यारोप का प्रकोप जारी है पर प्रधान मंत्री को खुद को इन सबसे ऊपर उठकर सोचना और बोलना चाहिए ये मेरा सोचना है।
अभी प्रधानमंत्री जी पूर्ण बहुमत से कुर्सी पर विराजमान हैं देश हित के लिए गए हर फैसले में जनता उनके साथ ही दिखी है फिर जनता से जुडी तकलीफ पर मरहम की उम्मीद की जानी चाहिए ना की व्यंग की।