मालदीव में राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने जब से 15 दिनों तक आपातकाल का ऐलान किया, हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अब यहां के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद जो विपक्ष के एक अहम नेता हैं, उन्होंने भारत से अपील की है कि भारत को यहां पर अपनी सेना और दूत भेजने होंगे। आपको बता दें कि भारत ने भी पहले ही मालदीव के हालातों पर चिंता जताई है लेकिन वह वहां के हालातों में हस्तक्षेप करेगा, इस बारे में अभी तक कुछ भी नहीं कहा गया है। दूसरी तरफ मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने नौ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने वाला अपना आदेश वापस ले लिया है। दिलचस्प बात है कि इन नौ कैदियों में नशीद का नाम भी शामिल है।
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राष्ट्रपति के आदेश पर हुई रिहाई
सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों ने कहा है कि उन्होंने ऐसा राष्ट्रपति यामीन के कहने पर किया है। गौरतलब है कि एक फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत कुछ नेताओं के खिलाफ सभी मामलों को खत्म करके उनकी वापसी का रास्ता साफ कर दिया था। नशीद पर आतंकवाद से जुड़ मामलों के तहत मामले चलाए गए थे। नशीद अपने खिलाफ लगाए सभी आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हैं। इमरजेंसी के साथ ही मालदीव में सुप्रीम कोर्ट के पांच में से दो जजों को भी गिरफ्तार कर लिया गया। मालदीव के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद और एक अन्य न्यायाधीश अली हमीद को मंगलवार को राष्ट्रपति की ओर से इमरजेंसी की घोषणा किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया. उनके खिलाफ किसी जांच या किसी आरोप की जानकारी भी नहीं दी गई। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने नौ हाई प्रोफाइल राजनीतिक कैदियों के रिहाई के आदेश को वापस ले लिया। जजों की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि वे राष्ट्रपति द्वारा उठाई गई चिंताओं के मद्देनजर कैदियों की रिहाई के आदेश को वापस ले रहे है।
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