एचआईवी का इलाज संभव हो सकता है। वैज्ञानिकों की एक टीम ने एचआईवी डीएनए को जेनॉम (genome) से निकाल फैंकने के सफल तरीके का पता लगा लिया है। हालांकि ये कहना जल्दबाजी होगी कि इस तरीके से वाकई एचआईवी का खात्मा किया जा सकेगा या नहीं। क्योंकि वैज्ञानिकों ने इस रिसर्च को एक चूहे पर किया है। एक जिंदा चूहे पर रसर्च करके एचआईवी को उसके डीएनए से अलग किया गया तो ये मेथड सफल हुआ।
ये मेथड कैंसर जैसी अन्य गंभीर बीमारियों पर काबू पाने में मददगार होगा या नहीं?
इस सवाल के जवाब में कहा जा सकता है कि इस मुद्दे पर वैज्ञानिकों को देखने चाहिए। रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व न्यूरोवयरोलॉजिस्ट कामेल खालिली ने किया। कामेल खलिली जेने एडिटिंग तकनीक पर फोकस करके रहे हैं। जेने एडिटिंग तकनीक के जरिए कई सालों के लिए एचआईवी को कई सालों के लिए एलिमिनेट किया जा सकता है।
टीम ने सफलतापूर्वक HIV DNA पर एक्सरसाइज की है, ये एक्सरसाइज जिंदा चूहे पर पिछले साल की गई। टीम ने इस एक्सपेरिमेंट के लिए तीन अलग अलग टाइप के चूहे लिए थे। पहला लेटेंट एचआईवी से इनफैक्टेड था, जिसके सेल्स में वायरस गुप्त रूप से छिपा हुआ था और ठीक इसी टाइप का चूहा वर्ष 2016 में किए गए एक्सपेरिमेंट में इस्तेमाल किया गया था।
दूसरा, जिसमें एक्टिव एचआईवी के लक्षण साफ तौर पर थे। तीसरा टाइप, जिसमें मानवीय इम्यून सेल्स को डाला गया था और इसमें टी सेल्स के साथ लेटेंट एचआईवी शामिल था। एचआईवी इम्यून सेल्स में छिप सकता है जो इम्यून सिस्टम को खत्म कर देता है। यही वो कारण है कि जिससे एचआईवी का इलाज सबसे कठिन हो जाता है। जबकि एंटी रेट्रोवायरल थेरेपीज से मनुष्य अपना सामान्य जीवन जी सकता है।
“वैज्ञानिक खलिली का कहना है कि हाल की एचआईवी के लिए एंटी रेट्रोवायरल थेरेपीज वायरस से लड़ने के लिए सफलतम जरिया है। लेकिन जेने में घुल चुके वायरस की कॉपीज को खत्म करने में ये थेरेपी नाकामयाब रहती है। अगर मरीज मेडिकेशन नहीं लेता है तो वायरस फिर से उभर जाता है”
क्रीसपर (CRISPR) सिस्टम को एक चूहे में इंट्रोड्यूस किया गया वो भी बिना इम्यून सिस्टम पर अटैक करे। रिसर्चर्स ने एडेनो एसोसिएटेड वायरस के साथ इसको जोड़कर देखा जो शरीर में कोई रिसपॉंस नहीं करता जैसे अन्य वायरस करते हैं।
सिस्टम ने इस तरह एचआईवी को निकाल दिया जैसे AA वायरस को दोहराया गया। जबकि इस एक्सपेरिमेंट में सफल हुई टीम की ओर से ये पुख्ता नहीं किया गया है कि ये तरीका सिस्टम से एचआईवी को ही बाहर निकाल रहा है या साथ में अच्छे डीएनए को भी बाहर निकाल देता है। यही वजह है कि टीम फिर से इस तरह के एक्सपेरिमेंट को करेगी।
फर्क इतना होगा कि इस बार ये एक्सपेरिमेंट किसी ऐसे प्राणी पर किया जा सकता है जिसका डीएनए मनुष्य से मिलता जुलता होगा। आखिरकार ये टीम चीन के सिचुआन यूनिवर्सिटी (Sichuan University) कॉनकोलॉजिस्ट के नक्से कदम पर चल रही है, जिन्होंने पहले ही इस तरह का एक्सपेरिमेंट यानी CRISPR ह्यमुन ट्रायल्स किए हैं।