मुरादाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष पर सपा का कब्जा बरकरार रहा। अविश्वास के बूते कुर्सी कब्जाने की कोशिश नाकाम होने पर भाजपा को झटका लगा है। प्रस्ताव वाले सदस्य ही सदन में नहीं आए। माहौल बदलते देख बसपा सदस्य भी वॉकआउट कर गए। ऐसे में भाजपा और बसपा की जुगलबंदी काम न आ सकीं। एक साल तक शलिता सिंह की कुर्सी सलामत रहेगी। पर्यवेक्षक ने बैठक की रिपोर्ट जिला जज और डीएम को सौंपी है। सपा की नेतृत्व वाली पंचायत की कुर्सी पर भाजपा की नजर थी। वार्ड-2 में पंचायत सदस्य रिक्त होने पर भाजपा नेता की पत्नी मिथलेश के सदस्य बनने पर अध्यक्ष बनाने की कोशिश बढ़ने लगी। खेमे को भाजपा के एक गुट का समर्थन था। पर सपा ने कुर्सी बचाने का सियासी पैंतरा अपनाया। भाजपा के एक दूसरे खेमे से संपर्क कर सपा ने मंगलवार को दूसरे खेमों को शिकस्त दे दी। दरअसल अध्यक्ष शलिता सिंह के खिलाफ सपा के मुकेश यादव, उस्मान समेत 19 सदस्य प्रस्ताव लाए। भाजपा ने सरकार में ताकत होने का एहसास कराना चाहा और जोड़तोड़ शुरू कर दी। प्रस्ताव पर 8 अगस्त को बहस होनी थी। जोर-आजमाइश से पहले सपा ने अपने सभी सदस्यों को सुरक्षित कर लिया। भाजपा के संग बसपा सदस्य भी जुड़े। माना जा रहा था कि सरकार और भाजपा-बसपा की जुगलबंदी से सपा की कुर्सी छिनेगी। मगर हुआ उल्टा। मंगलवार को सदन की बैठक में अप्रत्याशित नजारा रहा। प्रस्ताव वाले सदस्यों ने सदन की बैठक में शामिल न होने की रणनीति तैयार कर ली। माहौल भांपकर बसपा सदस्य भी वाकआउट कर गए। लिहाजा सदन के निर्धारित दो घंटे के समय में 32 सदस्य गैर हाजिर रहे। सदस्यों के न आने पर अविश्वास प्रस्ताव स्वत: गिर गया। पर्यवेक्षक बने एडीजे हरवीर सिंह ने जिला जज और डीएम को अपनी रिपोर्ट सौंपी है।