पटना। बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए के साथ गठबंधन की सरकार बनाने के साथ ही विवाद भी शुरू हो गया है। नीतीश कुमार के कैबिनेट गठन में जिस तरह से 26 मंत्रियों को जगह दी गई है, उसपर विवाद खड़ा हो गया है। सूत्रों की मानें तो एनडीए के छोट घटक दल आरएलएसपी और एचएएम कैबिनेट में जगह नहीं मिलने की वजह से नाराज हैं।
पासवान के भाई को बनाया गया मंत्री
सूत्रों की मानें तो आरएलएसपी मुखिया उपेंद्र कुशवाहा उनकी पार्टी के विधायक सुधांशु शेखर को कैबिनेट में जगह नहीं मिलने की वजह से नाराज हैं, जबकि एचएएम के मुखिया जीतन राम मांझी उनके बेटे संतोष सुमन को कैबिनेट में नहीं शामिल किए जाने से नाराज हैं। जीतन राम मांझी ने दिल्ली में इस बाबत नाराजगी जाहिर करते हुए राम विलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस का उदाहरण देते हुए कहा कि कहा कि वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं फिर भी उन्हें मंत्री बना दिया गया।
पासवान ने मांगी थी 2 मंत्रियों की जगह
जानकारी के अनुसार राम विलास पासवान ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के प स पारस के नाम को भेजा था, सूत्रों की मानें तो पासवान ने कैबिनेट में दो मंत्रियों की जगह मांगी थी, जबकि भाजपा ने साफ किया था कि एलजेपी और आरएलएसपी के पास 2-2 सीटें हैं लिहाजा सिर्फ एक ही मंत्री बन सकता है।
नीतीश कुशवाहा के बीच अनबन
माना जा रहा है कि नीतीश कुमार कुशवाहा से इस बात को लेकर नाराज थे क्योंकि उन्होंने नीतीश कुमार के फिर से भाजपा के साथ आने पर नाराजगी जाहिर की थी। नीतीश कुमार आऱएलएसपी के विधायक संजीव श्याम सिंह को मंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन कुशवाहा ने सुधांशु के नाम पर दबाव बनाया।
बेटे को मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज मांझी
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी चाहते थे कि उनके बेटे संतोष सुमन को कैबिनेट में जगह दी जाए, लेकिन भाजपा इस बात के लिए तैयार नहीं थी क्योंकि मांझी के पास सिर्फ एक विधायक है। नाराज मांझी ने दिल्ली का रुख किया और लेकिन माना जा रहा है कि मांझी को आने वाले समय में प्रदेश का राज्यपाल बनाया जा सकता है।
मांझी के पास सिर्फ एक विधायक
मांझी की पार्टी ने 2015 में कुल 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई थी, यही नहीं मांझी खुद अपनी सीट तक हार गए थे। वहीं एलजेपी जिसे सिर्फ एक ही सीट हासिल हुई थी उसे कैबिनेट में जगह मिली है, भाजपा ने पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस को कैबिनेट मंत्री बनाया है। लेकिन यहां गौर करने वाली बात है कि एलजेपी के दोनों विधायकों को दरकिनार करते हुए पशुपति नाथ को मंत्री बनाया गया है।