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Monday, December 9, 2024

​मुसलमानों के इस देश में सदियों से जल रही है मां दुर्गा की अखंड ज्योति

अजरबैजान में करीब 95 फीसदी आबादी मुस्लिम है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि यहां सुराखानी में सदियों से मां भगवती का एक प्राचीन मंदिर स्थित है।
 कई सदियां बीत गईं, लेकिन यह मंदिर शान से खड़ा है। हालांकि अब यहां न तो श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई देती है और न ही फिजाओं में जयकारे गूंजते हैं। इस मंदिर को आतिशगाह अथवा टेंपल ऑफ फायर नाम से भी जाना जाता है। यह नाम इसे एक विशेषता के कारण मिला है। यहां कई वर्षों से एक पवित्र अग्नि निरंतर जल रही है। यह मंदिर मुख्यत: अग्नि को ही समर्पित है। चूंकि हिंदू धर्म में अग्नि को बहुत पवित्र माना जाता है। इसलिए यहां जल रही ज्योति को साक्षात भगवती का रूप माना गया है। उल्लेखनीय है कि ऐसी ही ज्योति मां ज्वालाजी के मंदिर में भी जल रही है। 

मंदिर में प्राचीन वास्तुकला का उपयोग किया गया है। यहां एक प्राचीन त्रिशूल स्थापित है। निकट ही अग्निकुंड से निरंतर लपटें निकलती रहती हैं। मंदिर की दीवारों पर गुरुमुखी में लेख अंकित हैं। 

मंदिर की कथा के अनुसार, पुराने जमाने में हिंदुस्तान के कारोबारी इसी रास्ते से सफर करते थे। उन्होंने मां ज्वालाजी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए यह मंदिर बनवाया। इतिहास के जानकारों का मानना है कि मंदिर के निर्माता का नाम बुद्धदेव था। वे हरियाणा में मादजा गांव के निवासी थे, जो कुरुक्षेत्र के निकट स्थित है। 

मंदिर में संवत 1783 का उल्लेख किया गया है। एक और शिलालेख के अनुसार उत्तमचंद व शोभराज ने मंदिर निर्माण में महान भूमिका अदा की थी। माना जाता है कि जब हिंदुस्तानी व्यापारी इस रास्ते से गुजरते तो वे मंदिर मे मत्था जरूर टेकते थे। 

 

ईरान से भी लोग यहां पूजा करने आते थे। यहां आने वाले लोग मंदिर के पास बनी कोठरियों में विश्राम करते थे। 1860 ई. में यहां से पुजारी चले गए। उसके बाद यहां किसी पुजारी के आने का विवरण उपलब्ध नहीं है। माना जाता है कि फिर कोई पुजारी यहां लौटकर नहीं आया। तब से यह मंदिर भक्तों का इंतजार कर रहा है।

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