लंदन : पिछले कुछ समय में ब्रिटेन सहित दुनिया के कई देशों में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और उन्हें परेशान किए जाने की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं| जब से ब्रिटेन के अंदर ISIS से प्रेरित स्टाइल से होने वाले आतंकी हमलों में वृद्धि हुई है, तब से यहां रहने वाले मुसलमानों के खिलाफ नफरत व हिंसा की घटनाओं में भी पांच गुना इजाफा हुआ है| यहां रहने वाले मुस्लिम अपने और अपने परिवार के लिए डरे हुए हैं| सीधे शब्दों में कहें, तो ISIS के अपराधों की सजा निर्दोष मुसलमानों को मिल रही है| रोजमर्रा की जिंदगी में उन्हें जगह-जगह लोगों की नफरत का शिकार होना पड़ रहा है|
इसी महीने ब्रिटेन में एक मुस्लिम महिला ने पुलिस से शिकायत की थी कि किसी ने थैले में उल्टी करके उस थैले को उनकी कार पर फेंक दिया| हिजाब पहनने के कारण महिला के मुस्लिम होने की पहचान स्वाभाविक तौर पर हो रही थी| उमर फारूक मस्जिद में प्रार्थना करने गए कई मुसलमानों ने देखा कि उनकी कार के ऊपर सुअर का मीट लगा है| मालूम हो कि इस्लाम में सुअर से परहेज किया जाता है| कई मुस्लिम परिवारों ने धमकी भरी चिट्ठियां मिलने की शिकायत की है| इन चिट्ठियों में लिखा होता है, ‘अब इस देश में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है|’ कई मुसलमानों का कहना है कि उनके ऊपर थूक फेंका गया है|
ब्रिटेन में रह रहे कई मुस्लिमों का कहना है कि उन्हें उनके पहनावे और प्रार्थना के अलग तरीके के कारण हिंसा व नफरत का शिकार होना पड़ रहा है| इसकी एक बड़ी वजह ISIS जैसे बर्बर आतंकी संगठन भी हैं| ये संगठन खुद को इस्लामिक बताते हैं और इनकी वजह से लोग आम मुसलमानों से भी नफरत करने लगते हैं| हाल ही में ISIS ने ब्रिटेन और दुनिया के कई अन्य हिस्सों में हुए कई आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली| इन आतंकी संगठनों द्वारा की जाने वाली हिंसा के कारण निर्दोष मुसलमानों को लोगों की नफरत का शिकार होना पड़ रहा है|
सोमवार को ब्रिटेन में रात के समय फिन्सबर्ग पार्क मस्जिद से नमाज पढ़कर बाहर आ रहे मुसलमानों के ऊपर एक श्वेत मूल के शख्स ने गाड़ी चढ़ा दी| इस घटना में 1 इंसान की मौत हो गई और 9 लोग घायल हो गए| लंदन के पुलिस कमिश्नर ने इस घटना को साफ तौर पर मुसलमानों के ऊपर हुआ हमला बताया है| घटनास्थल के पास रहने वाले एक मुस्लिम ने बताया, ‘अपने अलग तरह के पहनावे और प्रार्थना-इबादत की अलग आदतों के कारण हमें पहचानना व हमें निशाना बनाना ज्यादा आसान है| जब भी ब्रिटेन या किसी और जगह कोई आतंकी हमला होता है, तब इल्जाम हम निर्दोष मुसलमानों के सिर आ जाता है| जब हमपर हमला होता है, तो लोग ध्यान नहीं देते|’ फिन्सबर्ग में रहने वाली 15 साल की एक मुस्लिम लड़की ने कहा, ‘मुझे यहां खतरा महसूस होता है|’ एक ओर जहां ISIS के कारण इराक और सीरिया जैसी जगहों पर हजारों मुसलमान मारे गए और लाखों मुस्लिम बेघर हुए, वहीं उसी ISIS और आतंकवादी विचारधारा के कारण उन्हें दूसरे धर्म व संस्कृति से ताल्लुक रखने वाले लोगों की भी हिंसा और नफरत का शिकार होना पड़ रहा है|