गाय के दूध से रोजा इफ्तार। फिर कुरान के हवाले से इफ्तारी में आए मुसलमानों से मुल्क की परिस्थितियों पर दो-चार बातें। मोहम्मद साहब के हवाले से कुछ तथ्य। पहले समझाने की कोशिश और साथ में आईना दिखाने का भी काम।
सवालों को उठाकर दिमाग में यह बैठाने की कोशिश कि उन्हें सच को स्वीकार करना चाहिए। संघ परिवार और भाजपा से शत्रु भाव खत्म करना चाहिए। ऐसा न करने पर उनका ही नुकसान है। भगवा टोली ने रमजान के महीने को इस काम का जरिया बनाने का फैसला किया है। शुरुआत प्रधानमंत्री के क्षेत्र काशी से होगी।
गंगा के तट शिवाला घाट पर 3 जून को होने वाली रोजा इफ्तारी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार भी रहेंगे।
मुसलमानों से संपर्क व संवाद के ये कार्यक्रम होंगे तो मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के तत्वावधान में, पर कुछ स्थानों पर संघ परिवार के दूसरे संगठनों के लोग भी इसमें शामिल होकर अभियान को आगे बढ़ाएंगे।
मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक महिरध्वज सिंह कहते हैं कि मंच का प्रयास है कि देश की इतनी बड़ी आबादी राष्ट्र की मुख्य धारा के मिजाज को समझे। साथ ही उन लोगों की भी सच्चाई जाने जो मुसलमानों को वोट बैंक समझकर काम करते रहे हैं।
ऐसा हुआ तो तमाम समस्याएं अपने आप समाप्त हो जाएंगी। मुसलमानों को बरगलाकर अपना राजनीतिक स्वार्थ साधने वाले भी समाप्त हो जाएंगे।
रखेंगे ये तथ्य
इफ्तारी में आने वालों को समझाया जाएगा कि वे लोकसभा और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में छिपे संदेश को समझें। देश के राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। सत्ता पाने के लिए अब मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में लामबंद करना जरूरी नहीं है। इसके बिना भी कोई पार्टी सत्ता हासिल कर सकती है।
अगर मुसलमानों ने इसे नहीं समझा तो अंतत: उन्हीं का नुकसान होगा। समय रहते न चेते और भाजपा से संपर्क व संवाद ठीक न किया तो भविष्य में वे अलग-थलग पड़ जाएंगे। उनकी ताकत खत्म हो जाएगी।
वोट न मिलने के बावजूद राज्य व केंद्र में दिया प्रतिनिधित्व
रोजा इफ्तारी में रोजेदारों के सामने कुछ सवाल रखकर भी तथ्य समझाने की तैयारी है। बकौल सिंह, पूछा जाएगा कि भाजपा को कितने मुसलमानों ने वोट दिया। फिर उन्हें बताया जाएगा कि भाजपा ने वोट न मिलने के बावजूद केंद्र व राज्य में मंत्रिपरिषद में मुसलमानों को प्रतिनिधित्व दिया।
साथ ही उन्हें मुसलमानों और मदरसों के लिए केंद्र सरकार की तरफ से शुरू की गई योजनाओं की जानकारी देकर यह समझाया जाएगा कि सपा, बसपा और कांग्रेस जैसे जो दल भाजपा और संघ परिवार को मुसलमानों को दुश्मन बताते हैं, वे सच नहीं बोलते हैं।
भाजपा मुसलमानों की दुश्मन नहीं है लेकिन वह संविधान से अलग जाकर उनका तुष्टीकरण भी नहीं कर सकती। इन कार्यक्रमों में कुरान व हदीस के हवाले से भी मुसलमानों को समझाने की तैयारी की गई है।
काशी के बाद 4 जून को जौनपुर, 9 जून को लखनऊ, 10 को इलाहाबाद, 11 को अंबेडकरनगर और 14 जून को उन्नाव में रोजा इफ्तार होगा। अन्य स्थानों के कार्यक्रम भी जल्द ही तय हो जाएंगे।
महिरध्वज कहते हैं, सभी जगह इफ्तारी के बाद रोजेदारों को गोवध से दूर रहने की शपथ दिलाई जाएगी। साथ ही एक-एक पौधा लगाकर धरती को हरा-भरा बनाने और पर्यावरण सुधारने का संकल्प दिलाया जाएगा।