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Thursday, December 12, 2024

​मैं दिल्ली का चुना हुआ मुख्यमंत्री हूं, आतंकी नहीं : अरविंद केजरीवाल

नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने ‘सर्व शिक्षा अभियान विधेयक 2017’ के तहत अतिथि शिक्षकों की सेवाओं को नियमित करने से संबंधित बिल को विधानसभा में पेश न करने की हिदायत दी थी, जिसे सरकार ने दरकिनार कर दिया।

बिल के मौजूदा स्वरूप को उपराज्यपाल ने असंवैधानिक करार दिया था, इसके बावजूद शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने उसी स्वरूप में बिल को बुधवार को विधानसभा में पेश किया।

उपराज्यपाल ने आपत्ति जताई है कि सर्विसेज से संबंधित फैसले सरकार नहीं ले सकती है, इस पर सिसोदिया का कहना है कि यह बिल शिक्षा और शिक्षकों से जुड़ा हुआ है और सरकार शिक्षा को सर्विसेज में नहीं मानती है। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर बाद शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने अतिथि शिक्षकों से संबंधित उक्त बिल सदन में पेश किया।

केजरीवाल ने कहा कि अधिकारी उपराज्यपाल के आदेश का हवाला देकर उन्हें व उनके मंत्रियों को कोई फाइल नहीं दिखा रहे हैं। वे फाइल देखकर कोई ऐसा राज नहीं चुरा लेंगे, जिससे देश को नुकसान होगा। केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली के मालिक हम हैं। मैं दिल्ली का चुना हुआ मुख्यमंत्री हूं, आतंकी नहीं।’

उन्होंने कहा कि देश नौकरशाही से नहीं, लोकतंत्र से चलता है। दिल्ली के मालिक हम हैं। पूरी दुनिया में शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए कार्यों की तारीफ हो रही है, लेकिन उपराज्यपाल उनसे और मंत्रियों से फाइल छिपा रहे हैं। कानून विभाग के सचिव बिल के बारे में क्या बताएंगे? वह सरकार नहीं चलाएंगे। उन्हें नहीं, जनता ने हमें चुना है। केजरीवाल ने विपक्ष पर भी जमकर निशाना साधा। विपक्ष के सदस्यों ने सदन का बहिष्कार भी किया।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की कैबिनेट के पास मुख्य मसलों पर स्वतंत्र होकर निर्णय लेने का अधिकार है, जैसे कि केंद्र सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया था। हम प्रधानमंत्री को फॉलो कर रहे हैं। दिल्ली सरकार के इस फैसले से 15 हजार शिक्षकों की नौकरी पक्की होगी।

उपराज्यपाल द्वारा बिल पर उठाए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार एलजी की राय से इत्तेफाक नहीं रखती है। विधानसभा में बिल पेश होने से कुछ घंटे पहले पत्र भेजकर बिल पर पुनर्विचार करने की बात कहकर उपराज्यपाल ने विधानसभा का अपमान किया है।

विधानसभा में सरकार ने कैबिनेट से पास बिल पेश किया है, कोई भी विधायक विधानसभा में बिल लाने के लिए स्वतंत्र है। बिल पूरी प्रक्रिया के तहत लाया गया है। विधानसभा के पास किसी भी बिल को पास करने की ताकत है।

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