सीतापुर,अनूप पाण्डेय:NOI।युवा वैज्ञानिक पंकज शर्मा का स्वप्न उस समय अधूरा रह गया
जब 20मई को भारत सरकार के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा उसे पत्र प्राप्त हुआ जिसमें यह बताया गया था कि सरकार से मदद मांगने मे काफी देर कर दी।
पंकज के अनुसार, उसने पिछले करीब दो माह पहले इस कांफ्रेस की सूचना सरकार को ईमेल के माध्यम से दी थी. पंकज के ईमेल का सरकार ने तो जवाब ही नही दिया. यह श्री मा प्रधानमंत्री जी के डिजिटल भारत मिशन को अंगूठा दिखाने का कार्य कर रहा है. एक ओर जहां माननीय प्रधानमंत्री जी हर कुछ डिजिटल कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर उन्ही का डिपार्टमेंट डिजिटल शिकायतों पर ध्यान ही नही दे रहा है।
अतः यह सरकार के डिजिटल मिशन की शायद एक यह कमजोरी है।
पंकज ने हाल ही में एक रोवर के ऐसे मॉडल को बनाया है जिसको भेजने के लिये हमें किसी भी अंतरिक्ष यान की आवश्यकता नही होगी।
पंकज के द्वारा बनाये हये इस रोवर की थ्योरी को अमेरिका में इंटरनेशनल स्पेश डेवलपमेंट कान्फ्रेंस मे बताना था. यह कांफ्रेंस नासा तथा उसकी सहयोगी नेशनल स्पेस सोसाइटी कराती है।
पंकज विज्ञान के क्षेत्र में बहुत कुछ करना चाहता है. वह ब्लैक होल जैसे जटिल रहस्यों पर जब वह इण्टरमीडिएट की पढाई करता था , के बारे में एक नई थ्योरी का प्रतिपादन किया. पर शिक्षा की कमी तथा आर्थिक कमी के वजह से उसकी यह थ्योरी धूमिल हो गयी।
अब पंकज को एक उम्मीद थी कि सरकार उसे अमेरिका भेजेगी पर उस पर भी ग्रहण लग गया।
अब पंकज को यदि सरकार किसी अच्छे अंतरिक्ष विश्वविद्यालय में पढने का अवसर दे दे तो वह अंतरिक्ष के कई जटिल रहस्यों पर रिसर्च करना चाहेगा। वास्तव में पंकज को रहस्यों को हल करने मे काफी आनन्द आता है।