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Friday, December 6, 2024

​मौलाना सलमान नदवी को पत्रकार नवेद शिकोह ने लिखा खुला ख़त

नवेद शिकोह
# सलमान ख़ान और सलमान नदवी में समानता

# मोटी फीस लेकर अलग-अलग विरोधाभास किरदार निभाते हैं दोनो

मौलाना सलमान नदवी साहब

सहप्रचार्य, नदवतुल उलूम(नदवा) लखनऊ। 
आदाब, 
मोहतरम  गुस्ताखी माफ करियेगा। आपसे चंद सवाल कर रहा हूं। आपके खलीफा बदलते क्यों रहते हैं?पहले तो आपका खलीफा बगदाद था। आजकल नया खलीफा किसे बनाया है? राम मंदिर निर्माण के पक्ष में आपके हालिया बयान से जाहिर हो रहा है कि आपने सियासत की खिलाफत वाले अब किसी बड़े खलीफा का दामन पकड़ लिया है।

 दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी और isis के मुखिया अबुबक्र अल बगदाद पर आस्था रखने वाला सलमान नदवी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचन्द्र या राम मंदिर का विरोधी तो हो सकता है, लेकिन भगवान राम पर आस्था नहीं रख सकता। राम मंदिर निर्माण में अपना योगदान नहीं दे सकता। अखंड भारत की अखंडता, मानवता, एकता, भाईचारे और हिन्दू-मुसलमानों के इख्तिलाफात(मतभेद) दूर करने का रास्ता निकालने की कोशिश नहीं कर सकता।

 बगदादी को खलीफा मानने वाला राम मंदिर निर्माण के लिए नर्म रुख अपनाये तो दाल में काला नहीं दाल में नीला ज़हर नजर आता है। ऐसे जहरीले खेल अक्सर सियासी होते हैं। 
हर बार अपकी आस्था किसी ऐसी शख्सियत/संगठन की बेल पर चढ़ती-लिपटती नज़र आती है जो देश-दुनिया के लिए सिरदर्दी बनी होती है। 
देश- दुनिया की शैतान ताकतों से आपके क्या ज़ाति मफाद (पर्सनल फायदे) हैं ये तो अल्लाह ही जाने, लेकिन आपका असली रुप पोशीदा (ढका/छिपा) है।
 ‘गोरा और काला’,  ‘सीता और गीता’  और डाॅन  जैसी फिल्मों में अमिताभ बच्चन और हेमामालिनी की तरह आपके दो किरदार नजर आ रहे हैं। 
 मौलाना आपसे गुफ्तगू में आपकी शान में गुस्ताखी की जुर्रत करने की मेरी औक़ात नहीं है। नहीं तो मैं जरुर आपको गिरगिट कहता। लेकिन मैं आपको  मौलाना सलमान ही कहूंगा। और ख़ुदा की बारगाह में दुआ करुंगा कि मौलाना सलमान अभिनेता सलमान ख़ान से भी ज्यादा अलग-अलग विरोधाभासी किरदारों में नज़र आते रहें। 
हांलाकि आपकी शान में कसीदे पढ़ने.. आपसे मुखातिब होने, आपसे गुफ्तगू करने और आपको ख़त लिखने में डर बहुत लग रहा है।  क्योंकि ज़माना और माहौल बहुत खराब है। आपने दुनिया के सबसे बड़े आतंकी और ISIS सरगना अबुबक्र अल बगदादी पर अपनी आस्था जताते हुए उसे अपना खलीफा माना था। और बाकायदा उसे खत लिखा था।  ये खत सार्वजनिक भी हुआ था।  इस खत का आपने ना कोई खंडन किया था और ना ही ये खत लिखने पर आपको कोई मलाल था। 
ऐसे में आपको खत लिखने में डर तो लगेगा ही। क्योंकि मैं आम मुसलमान हूं। सियासत, सियासी सौदेबाजी, या सियासी सरपरस्ती आप जैसे नामी उलेमा को ही नसीब होती है, तभी तो दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी को प्रेमपत्र लिखने पर भी कोई सरकार आप जैसों का बाल बाका भी नहीं करती।  वरना हमारे जैसे आम और गरीब मुसलमान के घर में ISI मार्क का बर्तन भी बरामद हो जाये तो ISI का एजेंट बताकर आतंकवादी घोषित हो जाते हैं हम जैसे।
मौलाना सलमान नदवी साहब आपने isis मुखिया और दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी को जब खत लिखा, इंसानियत के सबसे बड़े दुश्मन को खलीफा कुबूल किया। इंसान के भेष में इस ख़ून दरिन्दे पर आपने अपनी आस्था जतायी तो भारत के मुसलमानों को आपसे बेइंतहा नफरत हो गयी थी। लेकिन जब आपने राम मंदिर निर्माण में सहयोग देने का ख़्याल पेश किया तो भारत के आम मुसलमानों ने आपके इस विचार की सराहना की है। 

लेकिन बड़ा शक भी जाहिर होने लगा है।
 एक इंसान एक दम से इतना कैसे बदल सकता है? 

आप जिस मुस्लिम इदारे के हैड हैं उसकी पूरी दुनिया में साख़  है। आपकी खुद की कट्टर मुस्लिम छवि है।

 शक हो रहा है। किसी बड़ी सियासी दुकान में आप अपनी और अपने इदारे की बड़ी छवि बड़े दाम में बेच तो नहीं रहे हैं! 
अब ये शक यक़ीन में बदल रहा है कि आपने हिन्दुस्तान के मुसलमानों और नदवतुल उलूम को बदनाम करने की सुपारी लेकर isis के अबुबक्र अल बग़दारी को ख़त लिखा होगा ! तभी तो आपके खिलाफ सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। 

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