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Monday, November 4, 2024

​म्यांमार के बाद अब श्रीलंका में बौद्धों ने ढाया मुस्लिमों पर कहर

श्रीलंका में एक बौद्ध नेता की गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं. बौद्ध नेता पर मस्जिदों और मुस्लिम स्वामित्व वाले व्यवसायों पर हमले का आरोप है. राष्ट्रपति मैत्रीपला एसरसेन ने 2015 में सत्ता संभालने के बाद मुस्लिम विरोधी अपराधों की जांच करने का वादा किया था.

पिछले दो हफ्तों में इन हमलों में तेज़ी आयी है. कवावाटे शहर में एक और मुस्लिम शख्स की दुकान को इस सप्ताह अज्ञात हमलावरों द्वारा कथित तौर पर जला दिया गया. बोडो बाला सेना (बीबीएस) के जनरल-सेक्रेटिव गालगोदा अत्ता ज्ञानशाह ने जून 2014 में घातक अलथगमा दंगों के बाद मुस्लिमों के खिलाफ एक और अभियान का नेतृत्व करने के लिए अपने बौद्ध समर्थकों को प्रोत्साहित किया था जिसमें बौद्धों और मुसलमानों के बीच विवाद पैदा करने का प्रयास किया गया था.

श्रीलंका की 20 लाख की आबादी में 10 प्रतिशत से कम मुसलमान हैं. अधिकांश सिंहली बौद्ध और तमिल हिंदू हैं. राजनीतिक विश्लेषक अमजद मोहम्मद सलीम ने एक समाचार चैनल को बताया कि यह चिंताजनक है कि हिंसक बौद्ध राष्ट्रवाद फिर से उभरा है. अगर सरकार इस मुद्दे को हल नहीं करती है तो यह खत्म हो जाएगा. हम सभी इस तरह के तनावों के असर को जानते हैं.

सलीम ने कहा की अगर सरकार समुदायों को यह आश्वस्त करना चाहती है कि वह इस सब के पीछे नहीं है, तो सरकार को कानून और न्याय के शासन के साथ जवाब देना होगा. कई श्रीलंकाई मुस्लिम मंत्रियों ने इस सप्ताह आलोचनात्मक टिप्पणियों में कार्रवाई करने के लिए श्रीसेना से आग्रह किया और गुरुवार को एक बैठक की व्यवस्था की गई.

श्रीलंका की मुस्लिम परिषद के उपाध्यक्ष हिल्मी अहमद ने बताया कि श्रीलंका की अदालत ने उनकी गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया है. बीबीएस के महासचिव ने इस मुस्लिम अभियान को फिर से शुरू कर दिया है. अहमद ने बीबीएस कार्यकर्ताओं पर मुस्लिम समुदाय को धमकाने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा की उन्होंने हमारी मस्जिदों पर हमला किया और मुस्लिम संपत्तियों और आजीविका को नष्ट कर दिया. समस्या यह थी कि सरकार पिछले दो हफ्तों से बीबीएस के अपराधों के प्रति नरम रुख अपनाये हुए थी. सरकार के सलाहकार एजाथ सलेली ने बताया कि पिछले प्रशासन के तहत बौद्ध कट्टरपंथियों को पनपने की अनुमति दी गई थी.

आमांथी रतनकाये जो सिंहली मां है, ने कहा कि बीबीएस समूह देश के अधिकांश बौद्धों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है. हम शांतिपूर्वक रहना चाहते हैं और हम अपने साथी मुस्लिम पड़ोसियों पर किए गए कृत्यों का समर्थन नहीं करते हैं. वे हमारा प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, लेकिन वे चिंताजनक रूप से हमारे युवा को प्रभावित कर रहे हैं, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

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