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Tuesday, December 3, 2024

​यात्रियों को सुविधा देने के हर प्रयासों पर एजेंटो का…



लखनऊ,न्यूज़ वन इंडिया-दीपक ठाकुर। हमारे देश मे रेल से यात्रा करना तो राम भरोसे है ही लेकिन रेल में रिज़र्व बर्थ पाना भी बड़ी टेढ़ी खीर है।रेल मंत्रालय भले यात्रियों को सुविधा देने के लिए तरह तरह की योजनाएं लाता हो मगर यहां उनके भी ताऊ हैं जो उनकी हर सुविधा को यात्रियों की गले की फांस बनाने का हुनर रखते हैं।

ये ताऊ कोई और नही बल्कि वो एजेंट हैं जो ई टिकट सुविधा का बोर्ड लगाकर हर जगह जनता को लूटने का प्रयास करते नज़र आते हैं,जनता भी क्या करे बिना इनके आरक्षित टिकट ले पाना ही संभव नही हो पाता।

अब यात्रियों को यात्रा के लिए टिकट आसानी से उपलब्ध हो इसके लिए विभाग ने चार माह पहले ही टिकट बुक करवाने की सुविधा दे दी है ये सोचकर के यात्रा करने वालों को आसानी से टिकट मिल जाएगा,अब डिजिटल इंडिया की बात है तो सब आन लाइन ही होना भी लाज़मी है।

पर यही ऑन लाइन सुविधा एजेंटों के लिए वरदान और यात्रियों के लिए अभिशाप साबित हो रही है वो कैसे ये भी बताते हैं।

मान लीजिए आपको आज से चार महीने बाद का टिकट चाहिए जिसके लिए उसी तारीख पर बुकिंग खुलती है जो आप नेट पर आसानी से करवा सकते हैं और इसके खुलने का समय होता है सुबह के आठ बजे।लेकिन ये सब इतना अच्छा सिर्फ सुनने में ही लगता है क्योंकि अगर आप इस भरोसे रहे के आराम से दो दिन बाद विंडो से टिकट ले लेंगे अभी तो 3,4 महीने का समय है तो भाई ये आपकी बड़ी भूल साबित होगी यकीन नही होता तो सुबह 8 बजे 4 महीने बाद के लिए आन लाइन टिकट निकाल कर देख लीजिए।

इस आन लाईन सुविधा पर एजेंटों की ऐसी पैनी नज़र होती है कि 8 बजकर 1 मिनट पर ही सारे टिकट बुक हो जाते हैं और आप वेटिंग पर ही नज़र आते हैं।अब ज़ाहिर है जब आन लाइन वेटिंग शो कर रहा है तो खिड़की क्या ख़ाक रिज़र्वेशन देगी आपको सवाल ही नही उठता तो हार कर आप एजेंट की शरण मे जाएंगे जहां वो आपसे टिकट के अलावा लगभग उतनी ही अतिरिक्त राशि ले कर रिज़र्वेशन टिकट दे देगा।

अब सवाल ये उठता है कि जब सब टिकट 1 मिनट में ही बुक हो जाते है तो ये एजेंट सीट कहां से ले आते है? और दूसरी बात के इतनी ट्रेनों के बावजूद हर गाड़ी में वो भी 4 माह पूर्व 1 या 2 मिनट बाद वेटिंग क्यों दिखाने लगता है? इन सब बातों से एक बात तो साफ है कि एजेंटों का रेलवे सिस्टम से कोई गहरा चक्कर है कोई तो हैं जो सरकारी सुविधा में सेंध लगाकर एजेंटों को मालामाल बनाने के लिए सक्रिय है लेकिन हैरत इस बात को लेकर है कि क्या रेल मंत्रालय का इसपर कोई अंकुश नही है या वहां तक भी एजेंटो का एजेंट सक्रिय भूमिका निभा रहा है।जवाब तो देना पड़ेगा रेलवे विभाग को कि क्यों यात्रयों की सुविधा का लाभ एजेंटों को दिया जा रहा है।अगर ऑनलाइन होने से ऐसा है तो बन्द करिये ऎसी सुविधा जो यात्रियों के लिए ही जी का जंजाल बन गई हो।

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