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Sunday, December 8, 2024

​युवा वैज्ञानिक  पँकज की उम्मीदों का दीया आखिरकार बुझ गया .


सीतापुर,अनूप पाण्डेय:NOI।आखिर कार पंकज का दुनिया को रोवर थ्योरी देने का सपना एक स्वप्न बनकर ही रह गया 

उम्मीदों के साये में रहते भारत सरकार से मदद का ख्वाब रह गया  अधूरा  

आखिर कार स्वप्न ही रह गया  पंकज शर्मा का सपना

पंकज ने हाल ही में एक रोवर के मॉडल को  विकसित किया था. युवा वैज्ञानिक पंकज शर्मा का स्वप्न अधूरा रह गया.  दिनांक 20 मई को भारत सरकार के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के द्वारा पंकज को एक पत्र मिला जिसमें उसे निराशा मिली. उसमें दिया गया कि उसने सरकार से मदद मांगने में काफी देर कर दी. जबकि पंकज के मुताबिक उसने कई बार मा. मुख्यमंत्री, मा. प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रियों को रोज मेल करता था. उसने अमेरिका जाने के लेटर मिलने के तुरंत बाद ही मेल व पत्र के माध्यम से सरकार को मदद के लिये सूचित किया था पर फिर भी सरकार को ऐसा करना एक प्रश्न चिन्ह बनकर रह गया है. 

आखिर अब एक प्रश्न उठना जायज है कि आखिर सरकार पंकज जैसे गरीब प्रतिभावान छात्रों की मदद क्यों नही करना चाहती है? क्या सरकार अपने देश की प्रतिभा कहीं बाहर जाने नही देना चाहती है? यदि ऐसा है तो सरकार को अपने देश में ही ठीक ऐसे ही कांफ्रेंस कराने चाहिए. 
पंकज अपने देश की सरकार से इस बात की मांग करना चाह रहा है कि अपने देश मे भी ऐसे कांफ्रेंस होने चाहिये जिससे गरीब बच्चे अपने ही देश में रहकर अपनी प्रतिभा निखार सकें.
 पंकज ने हाल ही मे एक रोवर का मॉडल बनाया है जिसके  मुताबिक रोवर को भेजने के लिये रॉकेट की आवश्यकता नही पड़ेगी. पंकज को इस थ्योरी को अमेरिका में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस जो नासा तथा उसकी सहयोगी कम्पनी नेशनल स्पेश सोसाइटी कराती है, में उस थ्योरी को सिद्ध करने के लिये बुलाया गया था. जिसमें जाने के लिये सरकार ने पंकज की मदद नही की. जिससे पंकज निराश हो कर रह गया.

    पंकज की आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण पंकज ने मा. मुख्यमंत्री जी तथा मा. प्रधानमंत्री जी से मदद मांगी पर उसकी कोई भी मदद न हो सकी. 

 दिनांक 15 मई को डी एम सीतपुर के आदेश के बावजूद उसका पासपोर्ट न बन सका. जिस कारण पंकज अमेरिका नही जा सकता तथा उसका  दुनिया को एक नई थ्योरी देने का सपना एक सपना ही रह गया. उसकी रोवर की थ्योरी कागज के पन्नों में ही सिमट कर रह गयी.

पंकज को 25 मई को कांफ्रेंस में अपनी थ्योरी दुनिया के समक्ष रखनी है. पर भारत सरकार के द्वारा मिले पत्र में  उसे निराशा हाथ लगी.

आईये जानते हैं कि सीतापुर जिले के भण्डिया गाँवके पंकज शर्मा को नासा ने क्यों बुलाया- 

भंडिया के पंकज के मुताबिक उसने एक ऐसा रोवर का मॉडल तैयार किया है जिससे किसी भी रोवर को भेजने के लिये अब अंतरिक्ष यान की आवश्यकता नही पड़ेगी. 

        युवा वैज्ञानिक के मुताबिक उसने इस मॉडल को करीब एक माह की कड़ी मेहनत के बाद विकसित किया. 

   आर्थिक स्थिति अत्यंत दयानीय होने के कारण पंकज ने इस मॉडल की केवल थ्योरी तैयार की है. ट्रायल नही किया है. यह बात नासा को पता होने के बावजूद नासा ने पंकज को केवल इस थ्योरी  को दुनिया को दिखाने के लिये बुलाया था. 

प्रमोद शर्मा के पुत्र पंकज के मुताबिक विज्ञान में गहरी रुचि के चलते यह आइडिया दिमाग में आया.

पंकज ने इस  तरह का मॉडल बनाकर तथा दुनिया को नई थ्योरी देकर यह सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा धन की मोहताज नही होती. यही कारण है कि अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा पंकज की प्रतिभा की कायल हो गयी. 

पंकज ने बताया कि यह दूसरा मौका है जब सरकार ने उसकी मदद नही की. 

पंकज जब हाईस्कूल में था तब गूगल से बुलावा मिला था तब भी वह नही पहुँच नही सका था.
सरकारी  दुर्व्यवस्थाओं और आर्थिक कमजोरी के चलते  युवा वैज्ञानिक पंकज अपनी प्रतिभा  दुनिया को दिखाने अमेरिका नही जा सका.

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