नई दिल्ली : यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में दलों में बीजेपी, सपा, बसपा व कांग्रेस यदि चर्चा व सुर्खियों में थी तो व्यक्तियों में अमर सिंह भी शीर्ष पर थे. कांग्रेस सपा गठबंधन से पूर्व कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित और इससे नाराज व दल बदलने वाली रीता बहुगुणा जोशी से कहीं बहुत ज्यादा अमर सिंह सुर्खियों में थे. चुनाव पूर्व ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से हिसाब चुकता करने के पहले दोनों चाचाओं शिवपाल और रामगोपाल में दूरियां बढ़ाने वाले अमर सिंह ही थे. यूपी चुनाव के दौरान मीडिया में सुर्खियां बटोरने वाले भी अमर सिंह ही थे. चुनाव बाद इनके राजनीतिक भविष्य को बीजेपी में ही सुरक्षित भी देखा जा रहा था. बहरहाल, सवाल अब भी कायम है. यूपी का चुनाव निपट गया, क्या अमर सिंह भी निपट गए. कहां व क्या कह रहे हैं अब.
अमर के अंदर की आग
दो बार दूध का जला हूं, इसलिए सपा से मेरा अब दूर-दूर तक भी कोई संबंध नहीं रहेगा. रहा सवाल अखिलेश यादव का तो वो मेरे राजनीतिक दुश्मन हैं. मौका मिलेगा तो उन्हें छोड़ूंगा नहीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से सपा का दामन थामने का तो अब सवाल ही नहीं उठता. जब मेरी तस्वीरों पर पेशाब किया गया, मुझे गाली दी गई और मुझे बाहरी भी कहा गया तो अब गुंजाइश ही कहां बचती है. जब बात घर के अंदर रहती है तो ठीक है लेकिन बाहर आने पर कोई गुंजाइश नहीं बचती. मेरी नाराजगी मुलायम सिंह यादव से है क्योंकि मेरी और शिवपाल सिंह यादव की निष्ठा मुलायम में थी. हम दोनों को कष्ट भोगना पड़ा. अमर सिंह कहते हैं कि बेटे की मोहब्बत में सबको निपटाने वाले मुलायम खुद बेटे से निपट गए. शिवपाल से मेरे संबंध कल भी थे, आज भी है भविष्य में ऐसे ही बने रहेंगे लेकिन मैं मुलायम सिंह से बात नहीं करता. उनके अनुसार अखिलेश, राम गोपाल यादव और आज़म खान मुझे पसंद नहीं करते और इसलिए उस दिन के बाद से मैंने कभी उन्हें फ़ोन नहीं किया.
अमर सिंह ने एक चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में सपा अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर कड़ा प्रहार करते हुए अपने शब्दों पे काबू न रख कर अंदर की आग को बाहर निकाल दिया. दरअसल, इंटरव्यू के दौरान एंकर सवाल करते हुए अमर सिंह कि दुखती रग पे हाथ रख दिया, पुराना घाव फिर से ताज़ा हो गया जिससे अमर सिंह भी अपने दुःख को छुपा न सके.
कौन हैं यह अमर सिंह
अमर सिंह समाजवादी पार्टी के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक रहे हैं. ये अपने हिन्दी ज्ञान और राजनैतिक संबंधों के लिए बखूबी जाने जाते हैं. अमर सिंह अपने आप पर जनमत को ध्रुवित करने के लिए भी जाने जाते हैं और इन पर भ्रष्टाचार के विभिन्न मामले लंबित हैं जो इन्हें व्यापक रूप से अलोकप्रिय भी बनाते हैं. 6 जनवरी 2010 को इन्होंने समाजवादी पार्टी के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद तत्कालीन सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने इन्हें 2 फ़रवरी 2010 को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. वर्ष 2011 में सांसद घूस कांड में इनका कुछ समय न्यायिक हिरासत में भी बीता. इसके बाद इन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया और घोषणा करते हुए कहा कि मैं अपनी पत्नी और अपने परिवार को अधिक समय देना चाहता हूं. अतः चुनावों की अन्तिम तिथि 14 मई’14 के बाद मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा. बहरहाल, 2016 में इनकी समाजवादी पार्टी में पुनः वापसी हुई और राज्यसभा के लिए चुने गये.