उत्तर प्रदेश में बिजली की हालत बद से बदतर होती जा रही है. पिछली सरकार में बिजली को लेकर बनाई मजाक पर अब सरकार की खिल्ली उड़ाई जा रही है. आज हद तो तब हो गई जब बिजली का उत्पादन महज 15 हजार मेगावाट पर आकर सिमट गया. जबकि मांग 20 हजार मेगावाट से ज्यादा की है. इस 5 हजार मेगावाट के लम्बे अंतराल को बिजली विभाग कैसे संतुलित कर पायेगा एक सवाल खड़ा कर देता है.
बिजली विभाग की अनपारा , लैंको , ललितपुर , बारा बिजली घरों की इकाइयां ठप्प होने से बिजली का उत्पादन 15 हजार मेगावाट पर आकर सिमट गया. बिजली के गिरते उत्पादन से पूरे प्रदेश में हाहाकार मच गया. अनपारा में 210 और 500 मेगावाट की दो इकाई ठप्प तो लैंको में 600 मेगावाट की इकाई से उत्पादन बंद हो गया. बारा बिजली घर से भी 660 मेगावाट की इकाई ने हाथ खड़े कर दिए तो ललितपुर में उत्पादन आधा हो गया और ओबरा में भी दो इकाइयाँ बंद हो गई.
निजी कम्पनियों की महंगी बिजली से भी संकट उत्पन्न हो गया है. आगरा , कानपूर , झाँसी मेरठ समेत कई महानगरों की बत्ती गुल हो गई है. सभी महानगरों में जबर्दस्त बिजली की कटौती की जा रही है. जनता में त्राहि त्राहि मची हुई है. सरकार फ़िलहाल इस संकट को हल करने का कोई तरीका नहीं निकाल पा रही है. शहर ही नहीं गाँव भी अन्धकार की चपेट में आ गये है.