लखनऊ,दीपक ठाकुर।भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश का विधान सभा चुनाव तो जीत लिया पर मुख्यमंत्री के नाम पर पार्टी में थोड़ी बाधाएं नज़र आ रही हैं शायद यही कारण है कि जीत के लगभग तीन दिन बाद भी पार्टी के आलाकामन किसी नाम पर मुहर लगाने में नाकाम साबित हुए है।
सूत्रों की मानी जाए तो प्रधानमंत्री अपने विश्वसनीय व्यक्ति को ये ज़िम्मेवारी सौपने के इच्छुक हैं तो वही प्रदेश नेतृत्व ऐसा चेहरा चाहता है जो यूपी की राजनीति में सक्रिय रहा हो डर इस बात का भी होगा की बाहरी व्यक्ति को बैठाने से कहीं पार्टी के अंदर गतिरोध ना होने लगे शायद यही कारण है जो अभी तक पार्टी ने तय नहीं किया कि किसके सर यूपी का ताज होगा।
मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म है कभी राजनाथ सिंह का नाम दौड़ में आगे बताया जा रहा है तो कभी लखनऊ के मेयर डॉक्टर दिनेश शर्मा को ताज पहनाये जाने कि बात सामने आ जाती है कल चर्चा में रहे 8 बार से लगातार विधायकी जीत रहे सतीश महाना जी अब सवाल ये है कि आखिर इतने नामों पर चर्चा हो क्यों रही है भजापा का शीर्ष नेतृत्व बड़े बड़े फैसले तो पल भर में ले लेता है तो फिर यूपी का सी एम घोषित करने में इतना अधिक समय क्यों लगा रहा है।
ज़ाहिर तौर पर उत्तर प्रदेश राजनैतिक दृष्टि से बड़ा महत्वपूर्ण राज्य है यहाँ की राजनीति सीधे केंद्र पर असर करती है अभी 2019 का लोकसभा चुनाव भी है तो उसको ध्यान में रखते हुए लगता है ये देर हो रही है पर उम्मीद यही की जानी चाहिए कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो दूरगामी परिणामो को बेहतर ढंग से जानते हैं वो इसपर कोई अच्छा और ठोस निर्णय जल्द ही लेंगे क्योंकि उनकी मुहर पर किसी को ऐतराज़ हो ऐसा मुझे तो नहीं लगता।