योगी सरकार को उत्तर प्रदेश में 50 दिन पूरे हो चुके हैं. सरकार की समीक्षा के लिये यह कोई बड़ा वक्त नहीं होता. जिस तरह से मुख्यमंत्री योगी से लेकर बाकी नेता और मंत्री सीख देते नजर आ रहे थे उससे उम्मीद जग रही थी कि सरकार के इकबाल का असर जल्द दिखेगा. सरकार के 30 दिन पूरे होने पर एक प्रचार सा भी हुआ कि कामकाज कितना बदल गया है. अब करीब 50 दिन पूरा होने के बाद प्रदेश के हालात बदलते नहीं दिख रहे हैं. सबसे बड़ी परेशानी कानून व्यवस्था को लेकर खड़ी हो रही है. राजधानी लखनऊ में लूट और हत्या की घटनायें बढ़ गईं. गोमतीनगर और राजाजीपुरम जैसी घनी कालोनियों में लूट और सामूहिक हत्या की घटनाओं ने लोगों को डरा दिया है. गोमतीनगर में पूरे कारोबारी परिवार को बंधक बनाकर लूट हुई. राजाजीपुरम में रिटायर फौजी की 2 सगी बेटियों की हत्या हो गई.
इन घटनाओं के होने से जनता का गुस्सा पुलिस और सरकार पर फूटने लगा. सहारनपुर में हिंसा इतनी भड़क गई कि पुलिस और प्रशासन के अफसर तक पिट गये. अपराध एक बड़ा कारण था जिसके कारण लोग समाजवादी पार्टी से नाराज थे. भाजपा ने नारा दिया था कि ‘अब की बार गुंडा मुक्त सरकार’ चुनाव में यह नारा काम आ गया, पर चुनाव के बाद सरकार अपने वादे पर खरी उतरती नहीं दिख रही है. दंगों और अपराध के साथ सत्ता के मद में चूर कार्यकर्ताओं की दंबगई बढ़ती जा रही है. गोरखपुर के विधायक और पुलिस अफसर के बीच हुई घटना से पुलिस के लोगों का मनोबल टूटा है. इसका प्रभाव शासनतंत्र पर पड़ रहा है.
उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से भाजपा की सरकार बनी है. विपक्ष पूरी तरह से हाशिये पर चला गया है. विपक्ष संगठनात्मक रूप से इतना कमजोर है कि वह पूरी तरह से एकजुट होकर भाजपा की नाकामियों उजागर नहीं कर पा रही है. बसपा नेता मायावती उत्तर प्रदेश के बजाय केन्द्र में हैं. समाजवादी पार्टी विपक्ष से लड़ने के बजाय आपस में लड़ रही है. कांग्रेस पूरी तरह से धराशायी है. विधानसभा चुनाव के बाद उसके नेता कम ही दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में योगी सरकार पूरी तरह से विपक्ष के दबाव से मुक्त है.
भाजपा ने वैसे तो प्रदेश को संभालने के लिये एक ही जगह पर 3 मुख्यमंत्री बनाये है. जिस तरह से राजधानी सहित बाकी जिलों का हाल बेहाल होता जा रहा है उससे साफ है कि यह 3 मुख्यमंत्री वाला प्रयोग काम नहीं आ रहा है. सरकारी नौकरों को समय का पाबंद बनाने के लिये योगी सरकार तमाम प्रयास कर चुकी है. यह सीख अगर काम आती तो अपराध और दंगे इस तरह से सिर नहीं उठाते. कानून व्यवस्था पहली ऐसी चीज है जिसका प्रभाव तुरंत दिखने लगता, अगर योगी सरकार इस पर काबू नहीं पा सकी तो उसकी छवि बिगड़ती ही जायेगी.