लखनऊ,दीपक ठाकुर। अगर आप लखनऊ के निवासी है तो हेडिंग पढ़ के आपने अंदाज़ लगाया होगा कि हम पारा थाने की बात कर रहे है जो लाज़मी भी है क्योंकि पारा थाना हमेशा सुर्खियों में जो रहता है लेकिन हम यहां पारा यानी तापमान के बारे में लेकर बात कर रहे हैं जो दिन पर दिन बेकाबू होता जा रहा जिससे सभी डरने लगे हैं।
अगर आप कार की सवारी कर रहे हैं तो आपके लिए तो ठीक पर उनकी सोचिए जो साईकिल या मोटर साईकिल से अपना सफर तय करते हैं।तपिश का आलम तो ये है कि गाड़ी पर बैठने से भी डर लगता है दो कदम चलो की गला सूखने लगता है गर्म हवा की थपेड़ों ने भी आजिज़ कर रखा है पूछिये मत ऐसा समय चल रहा है कि मजबूरी ना हो तो कमरा ही अच्छा लगता है वो भी विध एयरकंडिशन वाला।
पर ये सब के बस का कहा खैर जो भी है डायरेक्ट धूप ना लगे इसकी जुगाड़ में ही दिन निकल जाता है।रास्तों पर अभी हो रही दुर्दशा के ज़िम्मेदार हम खुद हैं चकाचोंध के चक्कर मे साहब पेड़ कटवा डाले और अब वृक्षारोपण कर सिर्फ फोटो खिंचवा रहे हैं लगाने के बाद उसका क्या हुआ कोई पूछने वाला नही।
गर्मी के लिए तैयारी खूब की जाती है घोषणाओं पर भरोसा करने लगे तो लगता है कि गर्मी का एहसास ही नही होने दिया जाएगा सरकारी तैयारी पूरी है पर होता क्या है सभी जानते हैं 24 घण्टे बिजली देंगे जो दिन भर में 24 बार जाती है जगह जगह पियाऊ उपलब्ध होगा वो ढूंढे नही मिलता जो मिलता है वो गैर सरकारी जिसमे पानी कम विज्ञापन ज़्यादा होता है तो आप ही बताइये इस गर्मी और तपिश के लिए पारा क्या करेगा वो तो अपना काम बड़ी तन्मयता से कर रहा है पर साहब आप क्या कर रहे है ये सोचिए सिर्फ फोटो खिंचाने और अखबार की सुर्खी पाने के लिए सब किया जा रहा तो ठीक पर वाकई जनता के लिए कोई हमदर्दी है तो कुछ कीजिये अब पेड़ों का तो कुछ नही कर सकते पर ढंग से जगह जगह पानी की व्यवस्था तो कराइये।