लखनऊ,दीपक ठाकुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने हाल ही में ये फरमान सुनाया कि स्कूलों में महापुरुषों के नाम पर होने वाली छुटियाँ अब नही होंगी बल्कि उस दिन स्कूलों में विशेष कार्यक्रम रखा जाएगा ताकि बच्चे महापुरुष के बारे में भली भांति जान सके।
लेकिन सोमवार को जब चंद्रशेखर जयंती मनाने का मौका आया तो स्कूलों में बड़े असमंजस की स्थित दिखाई दी क्योंकि कई स्कूल इस अवसर पर पहले ही अवकाश घोषित कर चुके थे तो उन्होंने अभिभावकों को मैसेज के द्वारा छुट्टी निरस्त किये जाने की सूचना रविवार की रात को जारी किया फिर हुआ ये कि सीएमएस सहित कई स्कूलों में बच्चे गए तो पता चला कि ऐसा लिखित कोई बयान नही है तो आप घर जाईये छुट्टी रहेगी आज अब इससे उन बच्चों को काफी दिक्कत हुई जो सुबह आनन फानन में स्कूल पहुंचे वही सुबह कई स्कूलों ने फिर छूट्टी किये जाने का मैसेज भेजा और ये भी लिखा कि इस असुविधा के लिए उन्हें खेद है।
अब सवाल ये उठता है कि जल्दबाज़ी में किये गए फैसले को लिखित रुप से पुष्ट क्यों नही किया गया जब छुट्टी निरस्त की गई तो इसका सभी स्कूलों को पालन करने वाला शासनादेश क्यों नही पहुंचा क्या भाषण को शासनादेश मान कर स्कूलों में असमंजस की स्थिति पैदा हुई अगर हुई तो इसका ज़िम्मेवार कौन है। व्यवाथा बदलने में बहुत कुछ बदलना पड़ता है ये बात व्यवस्था बनाने वाले जल्दी जान ले तो बेहतर होगा।