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Tuesday, January 21, 2025

​योगी के सबसे बड़े विरोधी को भाजपा में शामिल कराने की तैयारी, बदल जाएगी पूर्वांचल की राजनीति

लखनऊ. यूपी में सरकार किसी की हो पूर्वांचल में बाहुबलियों का जोर हमेशा कायम रहता है। अक्सर ऐसा ही देखा गया है कि सूबे में जिस पार्टी की सरकार होती है, बाहुबली उसी के साथ हो लेते हैं। इन दिनों ऐसी ही चर्चा जोरों पर है कि पूर्वांचल के बाहुबली नेता और बड़ा ब्राह्मण चेहरा हरिशंकर तिवारी बीजेपी के साथ आ सकते हैं। इस चर्चा से यूपी की राजनीति में सियासी भूचाल की आहट सुनाई दे रही है। राजधानी लखनऊ के सत्ता के गलियरों में बाहुबली नेता और पूर्वांचल का बड़ा ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी की भाजपा से नजदीकियों को लेकर चर्चाएं इन दिनों जोरों पर हैं। 
कहा जा रहा है कि हरिशंकर तिवारी अपने भांजे पूर्व एमएलसी गणेश शंकर पांडेय के सहारे ये नई सियासी पारी खेलने की तैयारी कर रहे हैं। साफ सुथरी छवि के कारण गणेश शंकर पांडेय को बीजेपी में आने पर बीजेपी को भी कोई एतराज नहीं होगा।

प्रभावशाली नेताओं होती है गिनती

आपको बतादें गणेश शंकर पांडेय पूर्वाचल के कद्दावर नेता माने जाते हैं। वे चार बार एमएलसी रह चुके हैं। वे विधान परिषद के सभापति भी रहे हैं। पूर्वांचल की राजनीति में गणेश शंकर पांडेय की साफ सुथरी छवि के कारण उन्हें गोरखपुर और महाराजगंज जिले के प्रभावशाली नेताओं में गिना जाता है। गणेश शंकर पांडेय अपने मामा हरिशंकर तिवारी को अपना राजनीतिक गुरू मानते हैं। अब गणेश शंकर पांडेय के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें चल रही हैं। हालांकि बीजेपी की तरफ से इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है।

ब्राह्मण वोट आएगा साथ

गणेश शंकर पांडेय की पूर्वांचल की राजनीति में स्वच्छ छवि है। इस कारण उनके बीजेपी के साथ जाने पर उनको और बीजेपी दोनों फायदा मिलना तय है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो अगर गणेश शंकर पांडेय बीजेपी में जाते हैं तो बीजेपी को पूर्वांचल में ब्राह्मण वोट बैंक को लुभाने में सहायता मिलेगी। गोरखपुर में जल्द ही लोकसभा का उप चुनाव होने वाला है। यह सीट सीएम योगी के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। इस सीट पर गोरखनाथ पीठ का वर्चस्व रहा है। इस सीट पर क्षत्रियों के साथ ही ब्राह्मणों का भी खासा प्रभाव रहा है।

अगर गणेश शंकर पांडेय गोरखपुर उप चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी के रूप में आते हैं तो बीजेपी एक साथ कई संदेश देने में कामयाब हो जाएगी। इसमें योगी आदित्यनाथ पर जाति विशेष को तरजीह दिए जाने के जो आरोप लगते रहे हैं, वह धुल जाएगा। कारण यह है कि हरिशंकर तिवारी का गोरखपुर में चर्चित हाता की पहचान ब्राह्मण वर्ग के प्रबल पक्षधर के रूप में है। उनकी ब्राह्मणों में अच्छी छवि है और इस इस जाति का बड़ा चेहरा माना जाता है।

इससे ब्राह्मणों की नाराजगी दूर हो सकती है

योगी के सीएम बनने के बाद एक अपराधी को पकडऩे के चक्कर में इसी हाता में पुलिस रेड ने पूर्वांचल की राजनीति में खासा असर डाला था। उसके बाद ब्राह्मण वोट बैंक में इसका नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला था। ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ब्राह्मण वोटों को लुभाने की कोशिश में है। 

इस समय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय और केंद्र में वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला गोरखपुर से पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। हरिशंकर तिवारी की बीजेपी से नजदीकी पार्टी को नाराज ब्राह्मण वोटों को साधने में काफी आसानी होगी। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि पार्टी के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है। हालांकि वे साथ ही ये भी कहते हैं कि बीजेपी बड़ी पार्टी है, उसकी १९ राज्यों में सरकार है, जाहिर सी बात है कि हर कोई उससे जुडऩा चाहता है।

राजनीति में बाहुबली की इंट्री

यूपी के गोरखपुर में एक चिल्लूपास विधानसभा सीट है। 1985 में यह सीट एकाएक उस समय चर्चा में आ गई जब हरिशंकर तिवारी यहां निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जेल में रहते हुए चुनाव जीत गए। इसी के साथ भारतीय राजनीति में अपराध के सीधे प्रवेश का दरवाजा खुल गया। हरिशंकर तिवारी के राजनीति में प्रवेश से उनके विरोधी कहे जाने वाले वीरेंद्र प्रताप शाही ने भी लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट से जीत हासिल की। उसके बाद तिवारी ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा, वे इसी विधानसभा से कई बार विधायक चुने गए। वे यूपी के विभिन्न सरकारों में मंत्री भी रहे।

लगातार 22 वर्षों तक विधायक रहे

हरिशंकर तिवारी न सिर्फ लगातार 22 वर्षों तक विधायक रहे, बल्कि १९९७ से लेकर २००७ तक वे कई बार मंत्री भी रहे। इस दौरान प्रदेश में सरकारें बदलती रहीं लेकिन वे मंत्री बनते रहे।

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