भदोही. योगी सरकार में अफसर क्या विधायकों को गुमराह कर रहें हैं। क्या अपनी नाकामियां छुपाने के लिए माननीयों को गलत सूचनाएं उपलब्ध करा रहें हैं। यह हम नहीं यूपी के पूर्वमंत्री एवं औराई से भाजपा विधायक और प्रदेश कार्य समिति सदस्य दीनानाथ भास्कर कह रहें हैं। उनहोंने एक बार फ़िर अपनी ही सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए हत्या के एक मामले में पुलिस अधीक्षक भदोही सचिन्द्र पटेल को कटघरे में खड़ा करते हुए सुरियावा एसओ को बचाने का आरोप लगाया है।
विधायक का आरोप है की एसपी ने झूठ बोला और लापता मजदूर के एफ़आईआर के मामले में गुमराह किया, जबकि उसकी हत्या हो गई। इस पूरे प्रकरण के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराया गया है । मामला ज़िले के गोपीगंज कोतवाली के गांव कलीपुर निवासी मजदूर धर्मेंद्र गौतम पुत्र स्व: रामरती से जुड़ा है । 11 फरवरी को वह सुबह काम करने निकला था, लेकिन शाम तक न लौटने पर घरवालो ने अपने स्तर से पता करने के बाद थाना सुरियावां में गुमसुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने गए। लेकिन विधायक का आरोप है की एसओ सुरियावां ने प्रार्थना पत्र नही लिया तथा एफआईआर करने के बजाय उल्टे जातिसूचक शब्द से अपमानित करते हुए थाने से भगा दिया। परिवार के लोग कोतवाली ज्ञानपुर गए जहां पर एफआईआर कराया गया।
जबकि विधायक का आरोप है कि 15/16 फरवरी की रात धर्मेंद्र की हत्या हो गई। विधायक का आरोप है की इस सम्बन्ध में एसपी से फोन पर वार्तालाप करने पर कहा गया कि सुरियावां थाने में एफआईआर हुआ है ज्ञानपुर में एफआईआर होने का सवाल ही नही है। विधायक का आरोप है की यह दोनों बातें एसपी भदोही ने असत्य बताया। दुबारा एसपी से बात करने पर उन्होंने यह बताया कि धर्मेंद्र ज्ञानपुर थाना अंतर्गत काम करता था। इसलिए ज्ञानपुर में एफआईआर हुआ है । जबकि यह एफआईआर थाना सुरियावां में होना चाहिए था। विधायक एसपी भदोही पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वार्ता से ऐसा महसूस हो रहा था कि पुलिस अधीक्षक एसओ सुरियावां को बचा रहे हैं। एसओ सुरियावां को एसपी क्यों बचा रहे हैं, यह तो एसपी ही बता सकते हैं। विधायक का कहना है कि घटना के मुल्जिमानों की अविलम्ब गिरफ्तारी होनी चाहिए और परिवार को आर्थिक सहायता दिया जाना चाहिए।