आगरा। शिक्षामित्रों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से लगातार आफतों का पहाड़ टूटता जा रहा है। सरकार ने शिक्षामित्रों के मानदेय को बढ़ाकर 3500 से बढ़ाकर दस हजार कर दिया। लेकिन अब भी शिक्षामित्र इस मानदेय पर काम करने को तैयार नहीं है। शिक्षामित्र दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन के लिए शहर से बाहर हैं। ऐसे में शहर के चार सौ स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। शिक्षा विभाग शिक्षामित्रों पर अब सख्ती दिखा रहा है। शासन ने अब शिक्षामित्रों की उपस्थित का ब्यौरा सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों से मांगा है। ऐसे में शिक्षामित्रों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे शिक्षामित्र
समायोजन रद होने के बाद से शिक्षामित्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। आगरा में ढाई हजार शिक्षामित्र हैं, जो परिषदीय स्कूलों में काम करते हैं। ऐसे में हजारों बच्चों के भविष्य पर अब संकट आ खड़ा हो गया है। शिक्षा विभाग ने बच्चों के भविष्य को देखते हुए कड़े फैसले लेने का मन बना लिया है। सूत्रों का कहना है कि सभी खंड शिक्षाअधिकारियों से उपस्थिति रजिस्टर तलब किए गए हैं। यदि मार्कर या इंकरिमूवर का प्रयोग किया गया है, तो बड़ी कार्रवाई हो सकती है। ये बच्चों के शिक्षा से जुड़ा मामला है और वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी मामला है। हालांकि शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान कर रहे हैं। वे ऐसा कह रहे हैं।
शासन को भेजा जाएगा ब्यौरा
बेसिक शिक्षा अधिकारी अर्चना कुमारी ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षामित्रों की हाजिरी का रजिस्टर देखा जा रहा है। उपस्थिति के लिए शासनादेश आ सकता है, वहीं करीब चार सौ स्कूलों में पढ़ाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं की जा रही है। हाजिरी को शासन को भेजा जाएगा, जो भी निर्णय होगा शासन द्वारा आएगा पूरा कराया जाएगा।
आगरा में वैसे तो 2086 परिषदीय विद्यालय हैं और यहां करीब 2.34 लाख विद्यार्थी का परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पंजीकरण है। जिले में 2943 शिक्षामित्र हैं और 2400 शिक्षामित्रों का समायोजन सहायक अध्यापक के पद पर हुआ था।