राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाल लिया है. पिछले काफी समय से राहुल गांधी के तेवर में बदलाव दिख रहा था. लम्बे समय से शीर्ष नेतृत्व से जूझ रही कांग्रेस के लिए यह शुभ संकेत है. बीजेपी राहुल गांधी को निशाने पर रखकर कांग्रेस पर हमले करती रही है लेकिन राहुल के बदले तेवर बताते हैं कि उन्होंने इन हमलों से खुद डिफेंड करना सीख गए हैं. आलम यह है कि गुजरात चुनाव में बीजेपी काफी असहज नजर आ रही है. नए अंदाज के राहुल ने ना केवल कांग्रेस में जान फूंकी है बल्कि बीजेपी के लिए चुनौती भी बनकर सामने आ रहे हैं.
छोटी पार्टियों को राहुल से उम्मीद
बीजेपी की मार से तितर-बितर पड़ी राजनीतिक पार्टियां अब राहुल गांधी में अपना भविष्य देखने लगी हैं. लालू यादव ने तो यहां तक कह दिया कि अगले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ही विपक्ष के नेता होंगे. भले ही यूपी में कांग्रेस विफल रही हो लेकिन राहुल को अखिलेश यादव का साथ मिला था. छोटी पार्टियों का कांग्रेस को इस तरह खुला समर्थन आने वाले आम चुनावों में बीजेपी के लिए घातक साबित हो सकता है.
सोशल मीडिया पर अलग अंदाज में राहुल
भाषण हो या ट्विटर राहुल गांधी ने बीजेपी को उसी के अंदाज में जवाब देना सीख लिया है. इसका असर भी दिखा है. जो वर्ग बीजेपी का एकमुश्त वोटर बना था वह अब राहुल गांधी से भी कनेक्ट कर रहा है. पिछले दिनों कई ऐसी फेक खबरों का पता चला जो बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने का काम कर रही थीं. जिसके बाद बीजेपी की आईटी सेल पर भी कई सवाल खड़े हुए. जो वर्ग बीजेपी में विकास देख रहा था वह विकास पागल है का हैशटैग लिए ट्विटर पर दौड़ रहा है जो बीजेपी के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण है. बीजेपी ने जिस वर्ग को ‘ऑनलाइन राजनीति’ में सक्रिय किया अब वही वर्ग पूछ रहा है कि नौकरी कहां है.
दुखती रग पर हाथ रखने से BJP बैकफुट पर
कहावत है कि, ‘आप ईंट को केक बनाकर कब तक बेचेंगे’ अब बीजेपी को इस कहावत पर विचार करना चाहिए. अब वोटर राष्ट्रवाद, सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी और स्वच्छ भारत के नाम पर नहीं हिलेगा. देश की अर्थव्यवस्था का ना अर्थ समझ आ रहा है ना व्यवस्था. राहुल युवा हैं. और देश के युवा रोजगार की तलाश में घूम रहे हैं. राहुल इसी तरह उनकी बात करते रहे तो हमउम्र उनके साथ जाने में देर नहीं लगाएंगे.