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Saturday, September 21, 2024

​राहुल गांधी पहुंचे गोरखपुर, दौरे को योगी ने बताया पिकनिक

नई दिल्ली : योगी के बाद अब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गोरखपुर पहुंच गए हैं। आपको बता दें कि यहां पर राहुल गांधी उन बच्चों के परिजनों से मिलेंगे, जिनकी बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत हो गई थी।

वहीं आपको बताये कि इससे पहले जब ये घटना सामने आई थी, तब कांग्रेस का एक डेलीगेशन दिल्ली से गोरखपुर गया था। जिसमें वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, आरपीएन सिंह और राज बब्बर थे।वहीं इस मामले में कांग्रेस नेताओं ने सीधे योगी आदित्यनाथ सरकार कसा था।

वहीं सीएम योगी ने राहुल गांधी के गोरखपुर दौरे पर ने कहा कि गोरखपुर को पिकनिक स्पॉट ना बनने दें। दिल्ली में बैठा कोई युवराज और लखनऊ में बैठा कोई युवराज इस दर्द को नहीं समझ सकता।

वहीं सीएम योगी ने राहुल गांधी के गोरखपुर दौरे पर ने कहा कि गोरखपुर को पिकनिक स्पॉट ना बनने दें। दिल्ली में बैठा कोई युवराज और लखनऊ में बैठा कोई युवराज इस दर्द को नहीं समझ सकता। हम पूर्वी उत्तर प्रदेश को पिकनिक स्पॉट बनाने की इजाजत नहीं दे सकते। स्वच्छ और सुंदर यूपी बनाने की जरूरत है। 10-15 साल मे पिछली सरकार ने भ्रष्टाचार को संस्थागत किया। मैंने प्रशासन से कई बार कहा है कि स्वच्छता और स्वच्छ पेय जल ही उपाय है।

कांग्रेस ने बच्चों की मौत के मामले को व्यापक स्तर पर उठाया है। घटना के बाद यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने बड़ी संख्या में में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ लखनऊ की सड़कों पर बैठकर योगी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस घटना पर अभी चर्चा चल ही रही है कि राहुल गांधी का गोरखपुर जाना मामले को और राजनीतिक हवा देने का काम कर सकता है। हालांकि, दूसरी तरफ घटना पर गोरखपुर के डीएम ने जांच रिपोर्ट दी है, उसमें उन्होंने बच्चों की मौत के लिए बीआरडी कॉलेज के प्रिंसिपल और दूसरे डॉक्टर्स को जिम्मेदार ठहराया है और डीएम की रिपोर्ट में डा. काफिल खान को क्लीन चिट मिली है।

डीएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल को ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स और ऑक्सीजन यूनिट के इंचार्ज डॉक्टर सतीश ने इसमें लापरवाही बरती है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, ”सतीश को लिखित रूप से अवगत भी कराया गया था, मगर उसने ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति में बाधा पैदा की थी। लिहाजा वह इस अपराध के लिए दोषी हैं। इसके साथ ही स्टॉक बुक में लेन-देन का पूरा ब्योरा भी नहीं लिखा गया था। सतीश की ओर से स्टॉक बुक का न तो अवलोकन किया गया था और न ही उसमें हस्ताक्षार किया गया था, ये सब सतीश की लापरवाही को दर्शाता है।”

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