अक्सर यही होता है कि विभागीय लापरवाही की गाज उस विभाग के मंत्री जी पर ही गिरती है देखा गया है अधिकतर मामले में मंत्री जी खुदबखुद नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं।पर भाजपा सरकार के मंत्री नैतिकता से कोसो दूर ही नज़र आते हैं शायद यही कारण है कि हमारे रेल मंत्री माननीय सुरेश प्रभु जी विपक्ष की आवाज़ पर तवज्जो नही दे रहे हैं।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने मुज़फ्फर नगर में हुए रेल हादसे पर दुख जताते हुए रेल मंत्री का इस्तीफा मांगा है उनका कहना है कि रेल मंत्री को तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।वही उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए घटना में पीड़ित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त तो व्यक्त की है पर दबी ज़बान में उनको भी मंत्री जी का इस्तीफा ही चाहिए।
वैसे अगर हम पुराने रिकार्ड की बात करें तो रेल हादसों के बाद कई बार विपक्ष की मांग पर या नैतिकता के आधार पर मंत्रियों ने त्याग पत्र दिया है पर जब से प्रभु जी ने रेल मंत्रालय सम्भाल लिया है तब से हादसों में कोई कमी तो नही दिखाई पड़ी है पर हैं त्याग पत्र देने की परंपरा पर जरूर अंकुश लगा दिया है।