जालौन. चारा घोटाले के आरोपी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सजा देकर सुर्खियों में आए रांची सीबीआई के जज शिवपाल सिंह आजकल खुद न्याय के लिये जालौन में अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। सीबीआई के जज शिवपाल सिंह अपनी पैतृक जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिये कई बार अधिकारियों के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन अधिकारी उनकी समस्या पर तनिक भी गौर नहीं कर रहे। जिससे जज और उनका परिवार परेशान घूम रहा है।
जज की पैतृक जमीन का मामला
मामला रांची सीबीआई के जज शिवपाल सिंह की पैतृक जमीन का है। सीबीआई के जज शिवपाल सिंह जालौन जिले की जालौन तहसील के ग्राम शेखपुर खुर्द के रहने वाले हैं और उनकी पैतृक जमीन भी इसी गांव में है। जिसमें पूर्व प्रधान द्वारा जबरन आम रास्ता निकाल दिया गया। जब इसकी जानकारी रांची के सीबीआई जज शिवपाल सिंह को हुई तो उन्होंने इसकी शिकायत जालौन के तहसीलदार से लेकर उपजिलाधिकारी से की। जज साहब की शिकायत को अधिकारियों ने आदेश तो किया लेकिन उनके वापिस रांची पहुंचते ही अधिकारियों ने शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और मामले में हीला हवाली शुरू कर दी। जिसके तहत सीबीआई जज की जमीन की समस्या जस की तस बनी हुयी है।
पूर्व प्रधान का कारनामा
इस मामले में जज शिवपाल सिंह के भाई सुरेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि उनके भाई शिवपाल की जमीन शेखपुर खुर्द में अराजी नंबर 15 और 17 है। जिसके वह संक्रमणीय भूमिधर है। जिस पर पूर्व प्रधान सुरेन्द्र पाल सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान बिना किसी अधिकार के चकमार्ग बनवा दिया। जबकि सरकारी कागजों में चकमार्ग गाटा संख्या 13 है। जिसको पूर्व प्रधान ने बंद कर उसे अपने खेत में शामिल कर लिया। उन्होंने बताया कि कई बार उनके जज भाई तहसीलदार से लेकर जालौन के जिलाधिकारी से मिले, लेकिन अधिकारियों ने उनकी समस्या का समाधान नहीं किया और लगातार इसको लेकर परेशान हो रहे हैं।
कराई थी पैमाइश
इस मामले में जालौन के तहसीलदार जितेंद्र पाल का कहना है कि जज साहब उनके पास आए थे और उनकी बात सुनने के बाद राजस्व टीम को भेजा था और पैमाईश भी कराई थी। लेकिन इसके बाद जज साहब का कोई जबाब नहीं आया। उन्होंने बताया कि जहां चकरो है। वहीं पर चकरोड बनाया जाएगा। लेकिन जब तहसीलदार से पूछा कि जज साहब के भाई का कहना कि अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो तहसीलदार का कहना है टीम भेजी गई थी और निशान लगवाए गए थे। लेकिन जज साहब का उसके बाद कोई जबाब नहीं आया और न ही मुझसे मिले। अब सवाल यह उठता है कि एक जज लोगों को न्याय देने वाले को ही न्याय नहीं मिल रहा तो आम आदमा का क्या होगा।