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Wednesday, February 19, 2025

​लोकसभा मे खाता खोलने की आस, नहीं होगी सीबीआई जांच




नवेद शिकोह

  •  माया के झटके को महागठबंधन देगा महाझटका
  • विपक्षी एकता के खिलाफ दगाबाजी का रुख माया को पड़ सकता हैं मह॔गा
  • भाजपा विरोधियो ने चन्द्रशेखर को चुना माया का विकल्प 
  • मुलायम-शिवपाल के साथ भी भाजपा का मैच फिक्स

विपक्षी एकता को झटका देने वाली मायावती को महागठबंधन के रणनीतिकारो ने महाझटका देने की रणनीति तैयार की है। जिसके तहत उभरते हुआ दलित नेता चन्द्रशेखर को बसपा सुप्रीमो के विकल्प के रूप मे खड़ा करने की तैयारी है।  विपक्षी ताकतों का समूह उभरते हुए दलित नेता चन्द्रशेखर की ब्राडिंग करने की रणनीति बना रही हैं।  महागठबंधन के रणनीतिकार मायावती के झटके को महाझटका देने की तैयारी मे लग गया है।बताया जाता है कि विपक्षी खेमों के खुफिया तंत्र को मिली रिपोर्ट के अनुसार माया का मौजूदा फैसला सिर्फ सीबीआई का भय ही नही है। डर और दबाव की जमीन पर गिव एण्ड टेक का मसौदा तैयार किया गया है।  बसपा की दूसरी सबसे बड़ी ताकत बन चुके सतीश चन्द्र मिश्र के माध्यम से भाजपा के शीर्ष नेताओ ने बहन जी के साथ गुप्त समझोते मे भाजपा का माया के साथ अपत्यक्ष रूप से दोस्ताना रिश्ता रहेगा। कोई भी जाँच एजेंसी बसपा सुप्रीमो की तरफ पलटकर भी नही देखेगी। हां मायावती की तरफ से भाजपा सरकारो की नीतियो के खिलाफ हल्के-फल्के दिखावटी बयान जरूर आते रहेंगे। इस समझौते की पहली शर्त ये कि मायावती भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता को कमजोर करने की हर संभव कोशिश करेंगी।




भाजपा-बसपा के इस गुप्त करार मे सबसे अहम बात ये तय हुई है कि आगामी लोकसभा चुनाव मे भाजपा यूपी मे बसपा के लिये 8-10 सीटें छोड़ सकती है। या फिर सहयोगवश बसपा के वर्चस्व वाले लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा डमी प्रत्याशी ही उतारेगी। इस करार से बसपा को प्राण दान भी मिल जायेगा और भाजपा के खिलाफ हमलावर विपक्षी एकता की धार कमजोर हो जायेगी। इस योजना की भनक मिलते ही महागठबंधन के रणनीतिकारो ने माया के झटके के खिलाफ महाझटके की रणनीतिक तैयार कर चन्द्रशेखर को दलितो के युवा नेता के तौर पर माया का विकल्प बनाने का मूड बनाया है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्र ये भी बताते है कि संभावित महागठबंधन को कमजोर करने के लिये ही सपा के   संरक्षक मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव से भी भाजपा ने कुछ ऐसा ही तालमेल बनाया है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से उनके पिता मुलायम सिंह और चाचा शिवपाल से नाराजगी का पूरा लाभ उठाने  के लिये भाजपा कोई कसर नही छोड़ रही है। सपा के इन दोनो वरिष्ठ नेताओ को भाजपा के शीर्ष नेताओं ने कई बड़े प्रलोभन दिये है। भाजपा मे शामिल हुए विधान परिषद सदस्यों का भाजपा मे जाना भी  अखिलेश से नाराज सपा के शीर्ष नेताओ और भाजपा की मिलीभगत का आउटपुट ही बताया जा रहा है।

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