लखनऊ,दीपक ठाकुर।भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता वरुण गांधी ने मध्यप्रदेश में जो बोला उससे भाजपा को तकलीफ और विरोधियों को बल मिला होगा। आमतौर पर जिन बातों को विरोधी मुद्दा बना कर भारतीय जनता पार्टी को घेरा करते थे लगभग वही बोल वरुण गांधी के मुह से भी निकल गए वजह क्या रही इसका तो बस कयास ही लगाया जा सकता है पर इतना तय की फिलहाल वरुण के बोल ने भाजपा की बोलती बंद करने का काम कर दिया है।
भारतीय जनता पार्टी पर जिस तरह के आरोप विपक्ष लगता है वही काम वरुण ने भी मध्यप्रदेश की जनसभा में किया उन्होंने रोहित वमूल के आखरी खत पर उनकी मौत की वजह जानकार दुःख जताते हुए कहा कि खत पढ़ कर उन्हें रोना आ गया जिसमें हमारे सिस्टम का फेलियोर नज़र आ रहा था।वही विजय माल्या के प्रत्यार्पण और उद्योगपतियों को बढ़ावा देने का भी आरोप अपनी पार्टी के मत्थे जड़ दिया।
हालांकि वरुण गांधी ने खुल कर तो ज़्यादा कुछ नहीं बोला पर इशारे इशारे में उन्होंने पार्टी से बगावत का संकेत ज़रूर दे दिए है जिस पर भजपा ने फिलहाल चुप्पी साधना ही बेहतर समझा है।
वरुण गांधी ने ऐसे तेवर क्यों इख़्तेयार किये इसकी कई वजह भी दिखाई दे रही है पहली ये की जिस तरह पार्टी में अब उनके साथ व्यवहार हो रहा है शायद वो इससे संतुष्ट ना हो क्योंकि यूपी की राजनीती में उनको सी एम् की दौड़ का कैंडिडेट मना जा रहा था पर पार्टी से ऐसा ना किये जाना उनकी नाराज़गी की वजह हो सकती है या फिर उनमें भाई राहुल गांधी का प्रेम जाग गया होगा जो पार्टी में बगावती रुख अपना लिया और भाई की भाषा बोलने लगे।
वजह चाहे जो भी हो पर फिलहाल तो वरुण गांधी ने भाजपा शॉक देने वाला बयान दे कर मुसीबत में डाल ही दिया है कि गैर तो गैर अपने भी पार्टी की नीयत पर संदेह करने लगे तो उसे दूर कैसे किया जाए।
सूत्रों की मानी जाए तो वरुण गांधी अपनी माँ मेनका गांधी के प्रेम वश ही भाजपा से नाता जोड़े हैं क्योंकि सुनने में तो ये भी आया था कि वो पहले भजपा छोड़ने की बात कर चुके थे पर इस बार वरुण गांधी ने जो तेवर अपनाये हैं उस पर भाजपा उनके साथ कैसा व्यवहार करती है ये देखने वाली बात होगी जिस पर सबकी निगाहें भी टिकी हैं