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Monday, December 9, 2024

​विधानसभा में उठा छुट्टा जानवरों का मुद्दा


झांसी।जिले में अन्ना प्रथा की (छुट्टा जानवर) समस्या को विधायक जवाहर लाल राजपूत ने विधानसभा में उठाया। उन्होंने कहा कि छुट्टा जानवरों के कारण किसानों की फसल खराब हो रही हैं। इस समस्या के निदान के लिए गोशाला का निर्माण कर मनरेगा की तरह कर्मचारियों की तैनाती करने का सुझाव दिया। गौरतलब है कि छुट्टा जानवरों की समस्या पर अमर उजाला लगातार अभियान चला रहा है।

विधानसभा में विधायक राजपूत ने कहा कि अन्ना पशुओं से अपने खेतों की रखवाली बुंदेलखंड का किसान रात-रात भर जाग कर करता है। आवारा पशुओं द्वारा फसल खा जाने से किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है तथा परिवार भुखमरी की स्थिति में आ जाता है। प्रत्येक ग्राम पंचायत के पास परती/ चारागाह के लिए भूमि उपलब्ध है। ग्राम पंचायत की परती भूमि पर गोवंशों को इकट्ठा कर गोशाला का निर्माण कराके रखा जा सकता है। मनरेगा जैसी योजनाओं से गोवंशों की देखभाल के लिए चरवाहे (कर्मचारी) की व्यवस्था की जा सकती है।

छुट्टा जानवरों की समस्या से झांसी ही नहीं, आसपास के इलाके भी त्रस्त हैं। इनकी वजह से आए दिन हादसे होते रहते हैं। कई बार तो जान भी चली जाती है। जिले की गल्ला, सब्जी और फल मंडियों में ही नहीं, सड़कों पर भी छुट्टा जनवरों का जमावड़ा रहता है। ये ट्रैफिक में बाधा बनते हैं। दिक्कत यह भी है कि कुछ लोग अपने पालतू जानवर भी लावारिस छोड़ देते हैं और फिर वे राहगीरों के मुसीबत बन जाते हैं। अमर उजाला पिछले एक साल इस मुद्दे को उठा रहा है। इसका नतीजा हुआ कि नगर निगम ने बिजौली में कांजी हाउस बनाने का निर्णय लिया है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है। अब विधायक जवाहर लाल राजपूत ने इस समस्या को समझा और इसे विधानसभा में जोरदारी से उठाया है। इससे उम्मीद जगी है कि अब इसका समाधान जरूर होगा।

ये है अन्ना प्रथा

बुंदेलखंड के पशुपालक दूध दोह कर अपनी पालतू गायों को खुला छोड़ देते हैं। जब गायें दूध देना बंद कर देती हैं तो पशुपालक उनकी ओर देखते भी नहीं हैं। पशुपालकों की अनदेखी से गायों और अन्य पशुओं का आवारा विचरण ही अन्ना प्रथा कहलाता है।

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