भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो रहा है। साथ ही पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं, मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच नहीं किए जाने को मुद्दा बना कर अगले कुछ महीनों में असंतुष्ट सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद, प्रताप सिंह चौहान सहित लगभग 12 सांसद पार्टी छोड़ सकते हैं। इनमें से कुछ राज्यसभा के भी सांसद हैं। शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से सांसद हैं।
प्रताप सिंह चौहान गुजरात से सांसद हैं। इसी तरह झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान के कई सांसद पार्टी फोरम पर ‘मन की बात’ कहने का अवसर न मिलने को लेकर काफी नाराज हैं। उनकी शिकायत है कि केन्द्र और राज्य में पार्टी की सरकार होने के बावजूद उनके क्षेत्रों में कोई काम नहीं हो रहा है, कोई उनकी बात नहीं सुनता, अफसर उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं। अफसरों को राज्य के मुख्यमंत्रियों या उनके चहेते आला अफसरों से शह मिल रही है जिससे वे सांसदों व विधायकों को कुछ नहीं समझते। ऐसी घुटन भरी स्थिति से बाहर आने के लिए वे पार्टी को अलविदा कह सकते हैं।